शांतिक़ालीन नाकाबंदी शांतिकाल में, किसी राज्य द्वारा दूसरे राज्य को दंड देने के उद्देश्य से अथवा प्रतिशोध की भावना से अथवा उस पर दबाव डालने के उद्देश्य से, उसके तटों और बंदरगाहों से जलपोतों के निकलने का मार्ग अवरुद्ध करना। कभी-कभी बाहर आने वाले और अन्दर जाने वाले दोनों ही प्रकार के जलपोतों को इस संक्रिया में रोका जा सकता है। इस प्रकार की शांतिकालीन नाकाबंदी राज्यों के मध्य पारस्परिक विवादों के समाधान के बलकारी उपायों में से एक उपाय समझी जाती है।
Pacific settlement
शांतिपूर्ण समझौता, शांतिपूर्ण निर्णय राज्यों के बीच उत्पन्न किसी विवाद के समाधान के लिए वार्तालाप अथवा अन्य शांतिमय उपायों से सम्पादित समझौता अथवा संधि। इन उपायों का उल्लेख सबसे पहले 1899 के हेग कन्वेन्शन में किया गया था जिन्हें अब संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 33 में उद्धृत कर दिया गया है। ये उपाय हैं - वार्ता, सत्सेवा, मध्यस्थता, सुलह, विवाचन, न्यायिक प्रक्रिया और संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई।
Pacifism
P
Pacifist
शांतिवादी, युद्ध विरोधी युद्ध का विरोध करने वाला तथा शांति का पक्षधर। ऐसे व्यक्तियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका आदि अनेक देशों में युद्धकाल में सरकार की अनिवार्य सैनिक भर्ती की नीति का सक्रिय विरोध किया है।
Pacta sunt servanda
संधि का सद्भाव यह पद लेटिन भाषा का है जिसका अर्थ है कि राज्यों द्वारा की गई संधियों का उनके द्वारा निष्ठापूर्वक पालन किया जाना चाहिए।
Panchayati Raj
पंचायती राज भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में गाँव एवं जिलों के स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय व्यवस्था। इसका प्रारंभ 1959 में बलवंतराय मेहता समिति के प्रतिवेदन (1957) के आधार पर किया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत गाँवों और जिलों के स्थानीय स्वशासन की प्राचीन एवं परंपरागत संस्थाओं को पुनः संगठित किया गया। इस नई पंचायती राज्य व्यवस्था के तीन अंग हैं :- 1. ग्राम पंचायत, 2. पंचायत समिति, 3. जिला परिषद्। परंतु कुछ राज्यों में इस त्रिस्तरीय व्यवस्था के स्थान पर केवल द्विस्तरीय व्यवस्था पाई जाती है। पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्वशासन की संस्थाओं को नियोजन एवं विकास की प्रक्रियाओं एवं कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदार बनाना है।
Papal arbitration
पोप द्वारा अधिनिर्णय यूरोप में मध्य युग में धार्मिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में क्रमशः पादरियों और राजाओं की नियुक्ति अथवा उन्हें पदच्युत करने का पोप का अधिकार। यूरोपीय इतिहास में मध्यकाल में पोप का हस्तक्षेप समस्त ईसाई जगत में बहुत अधिक था। पोप का स्थान न केवल धर्मक्षेत्र ही में सर्वोच्च था अपितु राजनीति के क्षेत्र में भी उसका पूरा प्रभाव था। वह न केवल विभिन्न श्रेणियों के चर्चों के पादरियों की नियुक्ति करता था बल्कि कभी-कभी राजाओं को भी सिंहासनारूढ़ होने से पूर्व पोप की अनुमति लेनी पड़ती थी। वस्तुतः अनेक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक एवं विवादास्पद मामलों में पोप का विवाचन सर्वमान्य होता था। धीरे-धीरे यूरोप के देशों में राजनीतिक जागृति के साथ पोप-सत्ता का प्रभाव कम होता चला गया।
Papal bull
पोप का आदेश पत्र धार्मिक राजनीतिक तथा अन्य मामलों में पोप द्वारा जारी किए गए आदेश-पत्र।
Paramoutcy
परमोच्च शक्ति, सर्वोपरिता वह स्थिति जिसमें एक राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य के अस्तित्व को समाप्त किए बिना उस राज्य के आंतरिक और बाहय मामलों पर, उस राज्य के साथ किए गए समझौते के अंतर्गत, अपना प्रभुत्व अथवा प्रभुसत्ता स्थापित कर ली गई हो। भारत में, ब्रिटिश साम्राज्य के देशी रियासतों के साथ संबंधों की यही प्रकृति थी।
Pardoning power
क्षमादान का अधिकार भारत के राष्ट्रपति और भारतीय गणतंत्र के विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को संविधान द्वारा प्रदत्त क्षमा करने का अधिकार। भारतीय संविधान के उपबंधों के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी अभियुक्त को, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया हो, पूर्णतः या अंशतः क्षमा प्रदान कर सकता है। यही स्थिति उच्च न्यायालयों द्वारा दोषी घोषित किए गए अभियुक्तों को क्षमा प्रदान करने के मामले में राज्यपालों की भी है। राज्यपाल उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध किसी भी अभियुक्त को पूर्णतः या अंशतः क्षमा कर सकता है, उसे दिए गए दंड को घटा सकता है तथा पूर्णतः समाप्त भी कर सकता है। इस प्रकार की शक्ति विश्व के लगभग सभी राज्याध्यक्षों को प्राप्त है और इसका प्रारंभ ब्रिटेन में राजा के विशेषाधिकारों से हुआ है। इसमें सामूहिक रूप से क्षमादान करने तथा दंड निष्पादन को स्थगित करने के अधिकार भी शामिल हैं।