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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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अंधा
विवेकहीन; ज्ञानशून्य; बेफिक्र
राम न जपहू कहा भयौ अंधा, राम बिना जम मेलै फंधा (कबीर ग्रंथा . -कबीर, 129); स्वामि धरम स्वारथहि बिरोधू, बैरु अंध प्रेमहि न प्रबोधू (राम . (अ) - तुलसी, 651); सुनते ही शृंगी ऋषिXX क्रोध कर कहने लगे कि कलियुग में राजा उपजे हैं अभिमानी धन के मद से अंधे हो गये हैं दुखदानी (प्रेम. -ल. ला ., 3); ग़रज़ बावली होती है पर आज मालूम हुआ कि वह अंधी भी होती है (रंग . (2) प्रेमचंद, 70)।

अंधा आइना
धुंधला शीशा।

अंधा करना
ज्ञानशून्य कर देना
चारु मोहिनी आइ आंध कियो, तब नख-सिख तैं रोयौ (सू. सा.-सूर, 43); मोह न अंध कीन्ह केहि केही (राम. (उ) तुलसी, 10 96); हाय आशा भी क्या ही बुरी वस्तु है और प्रेम भी मनुष्य को कैसा अंधा कर देता है (भा . ग्रं . (ऍ) भारतेंदु, 457); मेरी अक्ल पर परदा पड़ा हुआ था। स्वार्थ ने मुझे अंधा कर रखा था (गबन-प्रेमचंद, 308)।

अंधा कुआं
सूखा कुआं
उसके एक कोने में, छोटा-सा बेरी का वृक्ष जिसकी छाया में एक टूटा-सा अंधा कुआं (शेखर. (1)( अज्ञेय, 18)।

अंधा घोड़ा
जूता
(साधु एवं फकीरों द्वारा ही प्रयुक्त)।

अंधा झोंपड़ा
पेट
इस अंधे झोपड़े की खातिर जीवन में न जाने क्या-क्या करना पड़ता है।

अंधा तारा
नेपच्यून तारा

अंधा दीया
धुंधले प्रकाशवाला दीपक
हटाओ इस अंधे दीये को सामने से।

अंधा बगला
बुरे ढंग से काम करनेवाला; घबराया हुआ
मधुकर अंधा बगला है, उससे कुछ पार न पड़ेगा।

अंधा बनना
जानबूझकर भी न जानना
आंख होते जो अंधा बने। कैसे वह फल-फूल सकेगा जो जड़ अपनी आप खने (मर्म . हरि-औध, 148)।


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