तुम ज़िन्दगी भर ऐंचातानी करते रहोगे पर तुम्हारा कुछ बनेगा नहीं।
ऐंचातानी करना
अपनी ओर मिलाने की कोशिश करना।
इस वक्त दोनों ऐंचातानी करने में ज़ोर से जुटे हैं।
ऐंचा-तानी में पड़ना
झगड़े में फँसना।
अरे छोड़ो भी, तुम भी किस ऐंचातानी में पड़ गये।
ऐंठ ढीली करना या होना, ऐंठ निकलना या निकालना
घमंड चूर कंर देना या होना।
जब निकल ऐंठ ही गई सारी तब भला मूँछ किसलिये ऐंठे (चुभते.-हरिऔध, 41); ज्यादा बढ़-बढ़ कर मत बोलो नहीं सारी ऐंठ ढीली कर दूँगी, समझे?
ऐंठ दिखाना
घमंड करना।
उनको काम क्या है, हर समय अपने पैसे की ऐंठ दिखाया करते हैं।
ऐंठ निकलना या निकालना
दे. ऐंठ ढीली करना या होना।
ऐंठ में रहना, ऐंड़ा-ऐंड़ा डोलना, ऐंठ फिरना
घमंड में चूर रहना।
वै त्रैलोकीनाथ चाहत हैं, काहैं न ऐंड़ी डोलै (सू. सा. सूर, 4263); ऐड़ि ऐड़ि बतलाहि भानु के सन्मुख जुगनू (कुण्ड. -गिरधरदास, 22); अरी याह को है साँवरो सो लंगर ढोटा ऐंड़ोई ऐंड़ो डोलै (भा. ग्रं. (2) -भारतेन्दु, 57); ऐंठ में आप बैठे ही रहे इधर महाराज के दर्शन कर मैं पुनः जवान हो गया (गंगा.-उग्र, 11-12)।
ऐंठ रखना, ऐंठ लेना
होशियारी से ले लेना।
कहीं अम्मा से 1.)। उड़ा लाये, कहीं अब्बा-जान से किताब के बहाने से पाँच-दस ऐंठ लिये (कर्म.-प्रेमचंद, 64)।
ऐंठ रखना, ऐंठ लेना
दबा लेना।
उसने मेरे दो सौ रुपये ऐंठ लिये और अब देने का नाम नहीं हैं।