जब इन्हें मालूम है कि इनके पृथक् रहने से मेरी निन्दा हो रही है, तो यह जान-बूझ कर क्यों मेरा उपहास करा रहे हैं। यह तो ऊँघते को ठेलने का बहाना हो गया (रंग. (2) -प्रेमचन्द, 355)।
ऊंघते को लेटने का बहाना मिलना
जो काम करना चाहें उसके लिए कोई सहारा मिलना या उपाय समझ में आना।
इन शब्दों ने इर्फान अली की दुविधाओं को दूर कर दिया। औंघते को लेटने का बहाना मिल गया (प्रेंमा.- प्रेमचन्द, 248)।
ऊँच-नीच
भला-बुरा।
लैकै दियो न जाय ऊँच अरु नीच बतावै (कुण्ड.-गिरिधरदास, 7), मानाइहन को देर तक सारा ऊँच-नीच समझाया गया (सुहाग. नागर, 166)।
ऊँच-नीच
जातिगत या आर्थिक भेद-भाव।
जब लग ऊंच-तीच करि जांनां, ते पसुवा भूले भ्रंम नांनां (कबीर ग्रंथा.-कबीर, 1.9); हरि हरि हरि हरि सुमरौ सब कोई। ऊँच नीच हरि गनत न दोई (सू. सा.-सूर, 236); एक के लिए समाज की ऊंच-नीच भावना मजाक और आक्रमण का विषय थी, दूसरे के लिए मर्यादा और स्फूर्ति का (कबीर.-ह. प्र. द्वि., 153)।
ऊंच-नीच का भेद न रखना
जाति-भेद न मानना, सबको समान समझना।
ऊंच-नीच देखना, ऊंच-नीच समझना, ऊंच-नीच सोचना
भला-बुरा विचार करना।
अरे ऐसे सोचने से काम नहीं चलता, सब ऊंच-नीच देखा करो देबू की अम्मा (कम.-कम., 102)।