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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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आंख (आंखें) छलछलाना
दे. आंख छलकना।

आंख (आंखें) छिपाए न छिपना
मन का भाव आंखों से प्रकट होना, छिपाए न छिपना।
उसके ना-ना करने से क्या होता है, उसकी आंखें छिपाए नहीं छिपती हैं।

आंख (आंखें) छिपाना
दे. आंख चुराना।

आंख (आंखें) जमना या जमाना
नजर स्थिर होना या स्थिर नजर से देखना।
उत्तर में मैंने मुस्करा दिया और आंखें झील पर जमा दैं (अजय. - देव., 105)।

आंख (आंखें) जमना या जमाना
लेने की नियत होना।
किसलिये माला हिलाते तब रहे माल पर ही जब जमी आंखें रहीं (चुभते.-हरिऔध, 124)

आंख (आंखें) जमना या जमाना
अच्छा लगना।
उनकी आंखें खेमों की नक्काशी पर जम गयीं।

आंख (आंखें) जमीन में गड़ जाना, आंख से लग जाना, आंख सिली रहना
शर्मा जाना या शर्माकर नीचे धरती की ओर एकटक देखना।
उनकी ग्रीवा झुकी हुई थी, आंख धरती में गड़ी हुई थीं (बाण .-ह. प्र. द्वि., 137)।

आंख (आंखें) जमीन से सिली रहना
दे. आंख जमीन में गड़ जाना।

आंख (आंखें) जलना
कष्ट होना, क्रोध होना।
जे दृग सिराए घनआनंद दरस-रस, ते अब अमोही दुख-ज्वाला जारियत है (धन. कवित्ति.-घाना.;226)।

आंख (आंखें) जलना
ईर्ष्या होना।
आंख जल जाय देख-देख जिसे, आंख का जल उसे बना लें क्यों (बोल.-हरिऔध, 42)।


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