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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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आंख (आंखों ) के सामने लगे रहना
दे. आंख के आगे घूमना।

आंख (आंखों) को खटकना
अप्रिय लगना।
उसका इस तरह उघाड़े बदन घूमना मेरी आंखों को बहुत खटकता है।

आंख (आंखों) को ठंढक पहुंचना
आंखों को अत्यन्त सुन्दर लगना।
कैसा प्यारा बच्चा है, देखकर आंखों को ठंढक पहुंच गयी।

आंख (आंखों) खटकना
आंखों मे पीड़ा होना।
आंख में न जाने क्या पड़ गया है, तब से खटक रही है।

आंख (आंखें) खुलना
आंखों में ठंढक आना, मजा आ जाना।
तुमने गिलास मेज पर रख दिया। जरा पियो, आंखें खुल जायेंगी (मान. (7) - प्रेमचंद, 40)।

आंख (आंखें) खुलना
ज्ञान होना, सचेत होना।
नीलू की मां न जायेगी तो लोगों की आंखें खुलेंगी (बौने.-रां. रा; 40)।

आंख (आंखें) खुलना
आश्चर्यचकित हो जाना।
बाग-बगीचे, शानदार सड़कें, बिजली की चकाचौध पैदा कर देने वाली-रोशनी ! देखकर आंखें खुल जायेंगी। (भूले.-भग. वर्मा, 307)।

आंख (आंखें) खुलना
नींद ने जगना।
अचानक भाई साहब की दहाड़ से मेरी भी आंख खुल गयी (सारा.-यादव, 218)।

आंख (आंखों) खुलवाना
आंख बनवाना।
आंख खुलवाना जरूरी हो गया है, उसके बिना काम नहीं चलेगा।

आंख (आंखों) खुलवाना
मुसलमानों में विवाह की एक रस्म।


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