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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सेम
एक तरह की फली जिसकी तरकारी बनती है।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. शिंबी)

सेमई
हल्‍का हरा रंग।
संज्ञा
पुं.
(हिं. सेम)

सेमई
सेम जैसे हलके हरे रंग का।
वि.

सेमई
मैदा के तागे-जैसे लच्छे जो धी में तलकर और दूध में पकाकर खाये जाते है।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेवईं)

सेमर, सेमल
एक पेड़ जिसके फल में से एक तरह की रूई निकलती है।
संज्ञा
पुं.
(सं. शाल्मलि)
उ.-(क) अंब सुफल छाँड़ि कहा सेमर कौं धाऊँ-१-१६६। (ख) सेमर-ढाकहिं काटि कै बाँधौं तुम बेरौ-९-४२। (ग) सेमर फूल सुरँग अति निरखत मुदित होत खगभूप-१-१०२।

सेमर, सेमल
सेमर या सेमल का सुक, सुआ या सूआ-सेमल के सुंदर फूल में रस और गूदे के लोभ से चोंच मारने, परंतु रुई न निकलने पर पछतानेवाला तोता जो व्यर्थ की आशा लगाने, परंतु अंततः निराश होने और पछतानेवाले व्यक्ति के समान है।
पद.
उ.-(क) रसमय जानि सुवा सेमर कौं चोंच घालि पछितायौ-१-५८। (ख) कत तू सुवा होत सेमर कौ, अंतहीं कपट न बँचिबौ-१-५९। (ग) ज्यौं सुक सेमर सेव आस लगि निसि बासर हठि चित्त लगायौ-१-३२६।

सेमि
सेम' नाम की फली जिसकी तरकारी बनती है।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेम)
उ.-सेमि सींगरी छमकि झोरई-२३२१।

सेये
पूजा या उपासना की।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.-सूरदास सेये न कृपानिधि जो सुख सकल मई-१-२९९।

सेयो, सेयौ
निरतर वास किया।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.-जा कारन तुम बन सेयों सो तिय मदन-भुअंगम खाई-७४८।

सेर
एक तौल चो मन का चालीसवाँ भाग होती है।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेठ)


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