logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Gaadi Ke Vibhinn Bhagon Ke Naam

धाऊ
पहिये की पुठी पर चढ़ा हुआ लोहे का पट्टा। इसे हाल भी कहते हैं

नग
बैलगाड़ी के पहिये की वे पटलियां जो नाभि के साथ उसकी परिधि का सम्बन्ध स्थापित करती है और दोनों के बीच में जुड़ी रहती है, ये संख्या में 12 होती है परन्तु ये जब नाभि की पिंडी के आरपार सलाकर डाली जाती है तब केवल 6 की आवश्यकता पड़ती है, मोटाईके हिसाब से इनमें सबसे मोटी दो पटलियों को केवल नग कहते हैं, उनसे कुछ कम मोटे मझोला होते है।

नटवा
छोटे कद का बैल।

नद
घुरों के साथ जुवारी कसने के काम आने वाली मोटी रस्सी।

नागौरी
नागौर प्रान्त का बैल जो अन्य प्रान्त के बैलों की अपेक्षा देखने में खूबसूरत और मजबूती तथा चलने में तेज होता है।

नाटा
छोटे डील डौल का बैल जो खेती के काम का नहीं होता।

नाथ
वह रस्सी जो बैल की नाक के छेद में डालकर सींगों के पीछे बांध दी जाती है। नथना से नाथ शब्द बन गया है और उसका अर्थ उस रस्सी से होता है जो बैल की नाक में बंधी रहती है और उसको रखती है। कहावत-आगे नाथ न पीछे पगहा उस बैल की तरह अल्हड़ और स्वतंत्र व्यक्ति जिसकी नाक में न तो नकेल पड़ी हो और न पीछे पैरों में रस्सी बंधी हो।

नाथना
बैल की नाक के छेद में रस्सी डालना

नार
(स.नाभि) पहिये के मध्य में लगी र्हु लकड़ी की वह मोटी गोल पिंडी जिसमें घुरे डालने के लिये छेद होता है और जिसमे पुठियो के साथ जुड़ने वाले नग फंसे रहते है।

पखियाँ
लग्गी से बंधी लकड़ियाँ।


logo