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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Gaadi Ke Vibhinn Bhagon Ke Naam

चका
पहिया, चक्र जो धुर में पड़े रहते हैं और जिनके घूमने से गाड़ी आगे बढ़ती है। चका में पुठी और 12 नग लगते हैं, बीच में नारया नाभि होती है, पुटियों के मिलने से पहिए की परिधि बनती है जो नगों के द्वारा नार से संबंध रहता है, दे. नार, नग और पुठी।

चकील
चक्रकील धुर के सिरे पर छेद में लगी हुई कील जो पहिए को धुर से बाहर निकालने से बचाये रहती है।

चकुलिया
पहिए को भौरे के डण्डे में डालकर ऊपर से लकड़ी की एक गोल मोटी चकती डालते हैं फिर चकील लगाते हैं, इस चकाती को चकुलिया और कहीं-कहीं तुरकली या भौं चप्पा कहते हैं।

चलन सार
दूर तक एक सी चाल चलने वाला बैल बैल जो एक हो चाल से लंबी यात्रा करे।

चांदनी
ऊपर छाया के लिये डाला गया कपड़ा, बैलगाड़ी के सामने देखना है। सिरे को ऊपर छाया के लिये डाला गया कपड़ा, बैलगाड़ी के सामने देखना है। सिरे को ऊपर उठाये रखने के लिये घुरों के सिरे पर बंधी हुई टेक, इसे घुरिया कहते हैं।

चोटिया
नगों का पुठी में मजबूती से जमा कर रखने के लिए पुठिया की चूल और नगों के बीच में ठुकी हुई पच्चड़ें, दे. नग और पुठी।


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