गाड़ी को जोत को अटकाने के लिये जुएं के बीच में ऊपर की ओर लगा हुआ बिच्छू के डंक के आकार का लोहे या पीतल का आँकड़ा।
बिलैया
मौरे के ऊपर घरों में लगी हुई लगभग एक बालिश्त लंबी लकड़ी जो घरों को मजबूत बनाती है।
बेनाथ
वह बैल जिसकी नाक न छिदी हो।
बैगनसुरा
वह बैल जिसके खुर बैगन की तरह ऊपर को उभरे हुए हो। यह बैल चलने में अच्छा माना जाता है।
बैलऊ
ऐसी गाय जिसके बच्चा न हो।
बैलगाड़ी
सवारी अथवा बोझ ढ़ोने की वह गाड़ी जिसमें बैल जोते जाते हैं, भारत वर्ष में बैलगाड़ी का प्रयोग अत्यन्त प्राचीन काल से होता चला आ रहा है, आर्य दो पहिए वाले रथ का व्यवहार करते थे, जिसमें घोड़ा जोता जाता था, परन्तु बैलों द्वारा खींची जाने वाली दो पहिए की गाड़ी से भी वे परिचित थे, वैदिक साहित्य में गाड़ी के विभिन्न अंगों के निम्नलिखित नाम मिलते हैं।
मट्ठा
आलसी और काम चोर बैल।
मरखाना
मरकन, सींग मारने वाला बैल।
भाड़ा
गाड़ी से बोझ ढोने या सवारी ले जाने का किराया।
मुंडा
बगैर सींगो या छोटे सींगो वाला बैल, वह बैल जिसके सींग पीछे की ओर निकले हुए हो।