एक संयुक्त पूंजी वाली कंपनी की कल्पना व उसका निर्माण करने वाला व्यक्ति प्रवर्तक कहलाता है । ऐसे प्रवर्तक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों द्वारा कंपनी में किया गया वित्तीय विनियोग उनका अंशदान कहलाता हैं । ऐसी कंपनी प्रायः जनता से धनराशि एकत्र करती है और उसके पूंजी कलेवर में वित्तीय संस्थाओं के दीर्घकालीन ऋण भी सम्मिलित होते हैं । निवेश करने वाली जनता और ऋणदाता वित्तीय संस्थाएँ अपेक्षा करती हैं कि प्रवर्तक का भी धन उसके उपक्रम में निविष्ट हो ताकि उपक्रम की सफलता में उसका दाब बना रहे। वित्तीय संस्थाएँ तो प्रायः ऐसे दाब को अपने द्वारा दिए गए ऋणों की एक आवश्यक शर्त के रूप में निर्धारित करती हैं ।
Protecting market leadership
बाजार नायक सुरक्षा
किसी नई और तेज़ी से उभरती हुई फर्म के कारण विद्यमान अग्रणी फर्म की स्थिति को पैदा होने वाले खतरे तथा उसके बाज़ार अंश में होने वाली संभाव्य गिरावट को सुरक्षित करने का प्रयास । ऐसे प्रयासों में अनेक कार्यनीतियों को सम्मिलित किया जा सकता है । इनका प्रमुख आधार चालाकी और चतुराई, हिंसा की कूटनीति, भीषण प्रतिशोध, सीमित संघर्ष तथा धमकी प्रणालियाँ हो सकते हैं । मोटे तौर पर ये कार्यनीतियाँ नव-प्रवर्तन, क़िलाबंदी, आमने-सामने मुकाबला करने तथा सताने से संबंधित होती हैं ।
देo innovation strategy, fortification strategy, confrontation strategy.
Psychographic segmentation
मनोवृत्तिपरक खंडीकरण
यह बाज़ार के विखंडीकरण की ऐसी रणनीति है जिसके अनुसार किसी भावनात्मक अपील पर एक जैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले या एक जैसे व्यवहार प्रतिमान रखने वाल सभी ग्राहकों को एक समजातीय खंड में रख दिया जाता है ।
Public company
सार्वजनिक कंपनी
सार्वजनिक कंपनी' से आशय ऐसी कंपनी से है जो निजी कंपनी नहीं है और जिसके अंतर्नियमों के अनुसार उसकी सदस्यता जनता के लिए खुली है । सदस्यों की संख्या सात और अधिक से अधिक चाहे जितनी हो सकती है । सार्वजनिक कंपनी विवरण पत्रिका जारी करके जनता को अपने शेयर और डिबेंचर लेने के लिए आमंत्रित कर सकती हैं ।
तुलo देo private company.
Public enterprise
सरकारी उद्यम, लोक उद्यम
राज्य अथवा सरकारी, अर्धसरकारी या स्वशासी निकायों के स्वामित्व वाले उद्यम । सामायतः इसमें वे उद्योग भी शामिल किए जाते हैं जिनमें निजी पूंजी भी लगी हो, लेकिन सरकार की अंशपूंजी कुल अंशपूंजी की 50 प्रतिशत से अधिक हो ।
Public relations
जन-संपर्क
व्यापारिक फर्में विभिन्न हित-वर्गों जैसे-ग्राहक, माल विक्रेता, प्रतियोगी, कर्मचारी, पूंजीदाता, ऋणदाता, स्थानीय जन समुदाय तथा सरकार आदि को अपने बारे में अधिकाधिक जानकारी प्रदान करना चाहती हैं ताकि ऐसे हित वर्गों का संबंधित कंपनी में विश्वास बढ़ता रहे । जानकारी और विश्वास जागृति के इन उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए जिन नीतियों का कार्यान्वयन किया जाए उन्हें जन-संपर्क कार्यक्रम के अधीन सम्मिलित किया जाता हैं ।
Purchasing power
क्रय-शक्ति
द्रव्य द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद पाने की क्षमता । द्रव्य अपने धारक की क्रय शक्ति प्रदान करता हैं, परन्तु वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में परिवर्तनों के साथ इस शक्ति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं । ऐसे उतार-चढ़ाव का मापन प्रायः अनेक वस्तुओं और सेवाओं के सम्मिलित मूल्य सूचकांक के संदर्भ में किया जाता है । यह मूल्य सूचकांक सामान्य मूल्य स्तर के रूप में जाना जाता है । जब मूल्य चढ़ते हैं तो धन की क्रय शक्ति घटती है और यह विलोम संबंध सामान्य मूल्य स्तर और धन की क्रय शक्ति के मध्य बराबर बना रहता है । क्रय-शक्ति के इन उतार-चढ़ावों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सरकारें अपनी मूल्य नीतियाँ, मुद्रा नीतियाँ तथा विनिमय-दर नीतियाँ निर्धारित है ।
Put and call option
मंदी व तेजी विकल्प
इसके अधीन एक निर्दिष्ट मूल्य पर किसी शेयर की एक निश्चित मात्रा खरीदने या बेचने का विकल्प प्राप्त किया जाता है । ऐसे विकल्प तेज़ी और मंदी दो प्रकार के हो सकते हैं । मंदी विकल्प के अनुसार जिस व्यक्ति द्वारा यह विकल्प खरीदा जाता हैं वह अंश के मूल्य में गिरावट की आशा करता है और इसलिए वह ऐसे अंशों को आज के चढ़े हुए मूल्यों पर भविष्य में बेचने का विकल्प प्राप्त करना चाहता हैं । मंदी विकल्प धारक को अंशों के बेचने का अधिकार प्रदान करता है, वह विकल्प संविदा के विक्रेता को ऐसे अंशों को खरीदने के लिए बाध्य करता है । यदि अंशों के मूल्य भविष्य में आशा के अनुसार न गिरे तो विकल्प संविदा के खरीदार को यह अधिकार रहेगा कि वह मंदी के विकल्प का प्रयोग न करे ।
तेज़ी विकल्प मंदी विकल्प का ठीक विलोम होता हैं और इसके अधीन भावी मूल्य में बढ़ोत्तरी की आशा करते हुए विकल्पधारी निहित अंशों को आज के मूल्य पर (जो कम होते हैं ) खरीदने का विकल्प प्राप्त करता है । आशा फलित होने पर विकल्पधारी अंशों को खरीद लेता है और आशानुकूल मूल्य वृद्धि न होने पर विकल्प का प्रयोग नहीं करता है ।
Pyramiding
पिरामिडीकरण
संबद्ध इकाइयों तथा व्यापारिक व्यवहारों की श्रृंखलाओं का एक तलबद्ध रूप में फैलाव पिरामिडीकरण कहा जा सकता हैं । यह फैलाव ऊर्ध्वगामी अथवा अधोगामी हो सकता है । वित्त और व्यापार के क्षेत्र में इस अवधारणा का प्रकार से प्रयोग किया जाता है । इसके कुछ स्वरूप निम्न हैं :-
(1) निवेश औत पिरामिडीकरण investment and pyramiding.
(2) नियंत्रण-सहायक कंपनी पिरामिडीकरण holding-subsidiary pyramiding.
(3) संगठन पिरामिडीकरण organisation pyramiding.
Quality circle
गुणता चक्र
उत्पादों की गुणवत्ता आज के उपभोक्ता संरक्षण आंदोलनों के मध्य एक क्रांतीक महत्व का घटक बन गया है । बड़ी-बड़ी फर्में इसके निमित्त कंप्यूटर और स्वचालित प्रणालियों की भी स्थापना करती हैं । ऐसे सभी प्रयास गुणता नियंत्रण में मानव की भूमिका की अपेक्षा करते हैं । इधर कुछ वर्षों से मानव भूमिका पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है और इसी पृष्ठभूमि में गुणता चक्र आंदोलन का जन्म हुआ है । इसकी प्रमुख प्रेरणा यह है कि किसी कारखाने या कारखानों के समूह के कार्यकारी और प्रबंधक एक साथ मिल बैठकर सामूहिक रूप में नए-नए विचारों का संचार करें जो अन्य बातों के साथ उत्पाद और उसकी गुणता से संबंध रखते हों । फर्म के स्तर पर जब ऐसे नए विचारों को स्वीकृत किया जाता है तो पारितोषिकों और प्रोत्साहनों की व्यवस्था भी की जाती है । धीरे-धीरे प्रारंभ होने वाला यह आंदोलन आज उस ऊँचाई पर पहुँच गया है कि अब इसका उद्देश्य केवल उत्पाद की गुणवत्ता में सिमट कर नहीं रह गया है बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर जोर डालना भी हो गया ताकि किसी भी गुणता चक्र के सदस्य एक टीम-भावना से अपने जीवन का संचालन करें और उसे कारखाने के वातावरण में भी ले आएँ ।