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Definitional Dictionary of Management Science (English-Hindi)
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Rateable value
कर-निर्धार्य मूल्य, करयोग्य मूल्य
स्थानीय शुल्क अथवा कर का निर्धारण करने के लिए संपत्ति आदि का कूता गया मूल्य । इसका आधार मकान, फैक्टरी अथवा दुकान से मिल सकने वाला किराया होता हैं ।

Rated capacity
निर्धारित क्षमता
विशेषज्ञों के द्वारा संयंत्र एवं मशीन की पूर्व निर्धारित उत्पादन क्षणता । ऐसी क्षमता परिचालन समय की क्षति और अन्य अवरोधों के न होने पर प्राप्त होती हैं ।

Recession
मंदी
अर्थव्यवस्था की एक अधोमुखी प्रवृत्ति जिसके प्रकट होने पर समस्त आर्थिक क्रियाओं में भारी और व्यापक कमी आ जाती है । कुछ अर्थशास्री मंदी को परिभाषित करने के लिए कतिपय मापदंड, यथा मंदी की अवधि, गहनता और प्रसार को निर्धारित करते हैं । ऐसे मापदंडों के उदाहरण निम्नलिखित हैं :- (1) कृषि क्षेत्र के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में पिछले नौ या अधिक महीनों में आई कमी से उत्पन्न आर्थिक गिरावट । (2) कम से कम विगत छह माह की अवधि में सकल राष्ट्रीय उत्पाद में हुई 1.5 प्रतिशत की न्यूनतम गिरावट और बेरोज़गारी की दर में 2 बिंदुओं से अधिक की वृद्धि । (3) कम से कम 75 प्रतिशत औद्योगिक प्रतिष्ठानों में ऐसी रोज़गार की गिरावट जो कम से कम छह माह तक बनी रहे ।

Regulation of business
व्यवसाय नियमन
सभी व्यवसायों पर केंद्रीय तथा राज्य सरकारों का कुछ सीमा तक नियमन होता है । यह नियमन विभिन्न क़ानूनों के अधीन होता है जैसे औद्योगिक विकास एवं नियमव, अधिनियम, आदि । इन नियमों के प्रायः निम्न उद्देश्य होते हैं :- (1) व्यक्ति या समूह के विशिष्ट कार्यों से होने वाली लोकहित की हानि को रोकना । (2) व्यक्ति या फर्म द्वारा एक दूसरे के विरूद्ध किए गए कार्यों या उनके संयोग द्वारा किए गए लोक विरूद्ध कार्यों के दुष्परिणामों को समाप्त करना । (3) नियोक्ता और कर्मचारियों के मध्य मतभेद से उत्पन्न दुष्परिणामों को रोकना ।

Remarketing
पुनर्विपणन
यह एक सुविदित तथ्य है कि सभी पदार्थों, सेवाओं, क्रियाओं और संगठनों आदि की माँग अंततः गिरती है । गिरावट की इस अवस्था को उस समय पहचाना जाता है जब आज की माँग बीते हुए कल की अपेक्षा कम हो और भविष्य में उसके लगातार इसी प्रकार गिरने की आशंका हो । इस गिरावट को रोकना परमावश्यक होता है और फर्म इस दिशा में अनेक उपाय करती है जैसे अपने लक्षित बाज़ार की पुनर्परिभाषा, प्रस्ताव की शर्तों में परिवर्तन, विपणन प्रयास का पुनरावर्तन आदि । पुनर्विपणन ऐसे ही प्यासों में एक है जिसके द्वारा माँग को पुनर्जीवित किया जाता है । इसके अधीन ऐसी नई प्रस्थापनाओं की खोज़ की जाती है जो फर्म द्वारा प्रदत्त विक्रय शर्तों को संभावित बाज़ारों की अपेक्षाओं के अधिक से अधिक निकट ले आए ।

reorder point
पुनःआदेश बिंदु
यह माल नियंत्रण के संदर्भ में प्रयोग में आता है । जब माल की सप्लाई इस बिंदु तक आ जाती है तो भंडारी को माल की नई खरीद की दिशा में पहल शुरू कर देनी चाहिए । यह बिंदु प्रायः माल के न्यूनतम और अधिकतम तलों के बीच में आता है और प्रायः न्यूनतम और इस बिंदु के तलों के बीच की माल की मात्रा उतनी भर होती है कि व्यापारिक क्रियाएँ तब तक चलती रहें जब तक कि नए माल की पूर्ति आनी प्रारंभ नहीं हो जाती । इस बिंदु का निर्धारण निम्न सूत्रों के द्वारा परिमाणात्मक रूप में भी किया जा सकता हैं :- (1) पुनःआदेश स्तर या बिन्दु = न्यूनतम स्तर+नई पूर्ति की प्राप्ति के समय तक होने वाले माल की खपत, या (2) " " =माल की अधिकतम खपत x अधिकतम पुनरादेश अवधि.
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Replacement cost
प्रतिस्थापन लागत
किसी भी परिसंपत्ति का चालू बाज़ार मूल्य जिस पर उसका प्रतिस्थापन किया जा सके । आधुनिक लागत के आधार पर गणना का प्रयास किया जाता है ताकि फर्म की परिसंपत्तियों और माल सूची को चालू बाज़ार मूल्य से प्रतिस्थापित करने का अनुमान प्राप्त हो सके ।

Repositioning
पुनर्स्थितीयन
अपने बाज़ार के संशोधन प्रयासों में किसी फर्म का उत्पाद प्रबंधक अपने उत्पाद के लिए नए ग्राहक ढूँढ निकालने के अवसरों की टोह में रहता है । प्रायः वह अपने ब्राँड का पुनर्स्थितीयन इसलिए करना चाहता है ताकि समूचे उद्योग के विक्रय को प्रभावित किए बिना उसके ब्राँड की बिक्री बढ़ जाए । उदाहरण के लिए एक पेय चाकलेट का निर्माता जो वृद्धजनों को अपने उत्पादन का एक भारी भाग बेचता है वह इस बात पर गंभीरता से विचार करेगा कि वह अपने चाकलेट की ब्राँड को युवा व्यक्तियों के समक्ष रखे क्योंकि युवजन बाज़ार खंड बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है । ऐसे सभी प्रयास पुनर्स्थितीयन कहलाते हैं ।

Resale price maintenance
पुनर्विक्रय क़ीमत अनुरक्षण
निर्माताओं द्वारा पूर्व निर्धारित बंधन जिसके अनुसार किसी भी वस्तु या सेवा का उपभोक्ताओं को पुनर्विक्रय एक पूर्व निर्धारित मूल्य से कम में नहीं किया जाएगा ।

Research and development
अनुसंधान और विकास
बुनियादी और व्यावहारिक शोध जिसके द्वारा वस्तु के उत्पादन के तरीकों में नई खोज, आविष्कार, डिज़ाइन या नई प्रक्रिया का विकास किया जा सके । यह कार्य निजी कंपनी, किसी समूचे उद्योग द्वारा, गैर लाभ संस्था या सरकार द्वारा किया जा सकता है । विकसित देश अपनी राष्ट्रीय आय का यथेष्ट भाग इस अनुसंधान क्रिया पर व्यय करते हैं । इसी प्रकार बड़ी और स्थापित कंपनियाँ अपनी विक्रय आय का एक खासा प्रतिशत भाग इस पर लगाती हैं।


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