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Definitional Dictionary of Management Science (English-Hindi)
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Product differentiation
उत्पाद-विभेदन
एक ही प्रकार की वस्तुओं के बीच वास्तविक या काल्पनिक भेद का सर्जन । ऐसा प्रायः पैकिंग, डिब्बाबंदी, ब्रांड विभेद, किस्म विभेद, डिजाइन विभेद आदि विधियों को अपनाकर किया जाता है । उपभोक्ता-वस्तुओं के संबंध में यह अधिकतर देखने में आता है । अपनी वस्तु का एक निश्चित बाज़ार बनाने के लिए उत्पादक ऐसा करते हैं।

Product expansion matrix
उत्पाद विस्तारमेट्रिक्स
देo market expansion matrix.

Product flow process chart
उत्पाद प्रवाह प्रक्रिया चित्र
किसी भी उत्पाद को एक क्रमिक विनिर्माण प्रक्रिया से गुजरना होता है और रूपांतर के साथ माल एक प्रवाह के रूप में एक अवस्था से दूसरी अवस्था की ओर बढ़ता चला जाता है । उत्पाद की इस यात्रा में विभिन्न अवस्थाओं में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं को एक क्रमिक प्रवाह के रूप में दर्शाने वाले चित्र को सक्रिया प्रवाह चित्र कहते हैं । इस चित्र में जब यातायात और भंडारण की क्रियाएँ भी जोड़ दी जाती हैं तो चित्र का जो रूप उभर कर जाता है उसे उत्पाद प्रवाह प्रक्रिया चित्र कहते हैं । इस प्रकार संक्रिया प्रवाह चित्र केवल उत्पादन संबंधी क्रियाओं का दिग्दर्शन कराता है, उत्पाद प्रवाह प्रक्रिया चित्र में गैर-उत्पादक क्रियाओं का भी समावेश होता हैं ।

Production capacity
उत्पादन क्षमता
उपलब्ध संयंत्र, उपकरण, मशीनरी तथा कार्मिकों से संभावित उत्पादन, अर्थात् देय स्तर पर किसी संयंत्र की उत्पादन क्षमता । इस पद का प्रयोग लेखाकरण और औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता हैं ।

Production control
उत्पादन नियंत्रण
व्यवसाय और उद्योगों से प्रयुक्त मशीनें, सामग्री तथा श्रमिकों की न्यूनतम निविष्टि से अधिकतम उत्पादन करने की नियोजित प्रक्रिया ।

Production inventory system dynamics
उत्पादन-मालसूची तंत्र गतिकी
उपभोक्ता माँग में होने वाले परिवर्तन विनिर्माता तक पहुँचने में समय लेते है और इन विलंबों के कारण फर्म को दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता है । उत्पादन-मालसूची तंत्र गतिकी ऐसे विलंबों और उत्पादन में किए जाने वाले संशोधनों में समुचित तालमेल बैठाने का एक रूप होता है । उदाहरण के लिए यदि माँग में दस प्रतिशत कमी हो जाए तो कमी की यह सूचना वितरकों तक उसी समय पहुँचेगी जब फुटकर व्यापारी अपने आदेशों में कमी कर देंगे । इसके पश्चात् वितरक कारखाने को दिए गए अपने आदेशों में उतनी ही कमी करेंगे और कारखाने के गोदाम में उक्त सूचना आते-जाते और फैक्टरी तक जाते-जाते कुछ समय लगेगा । मान लीजिए कि फुटकर व्यापारी उपभोक्ताओं की खरीद के आधार पर माँग का पहला पुनर्मूल्यांकन दस दिन में करते हैं, वितरकों तक उनके आदेश पहुँचते-पहुँचते दस दिन लेते हैं, वितरकों के आदेश कंपनी के गोदाम तक पहुँचने में दस दिन का अतिरिक्त विलंब करते हैं, और गोदाम इस सूचना का संवाहन करने में पाँच दिन का समय लगाता है तो उपभोक्ता माँग घटने की सूचना कुल मिला कर 35 दिन के विलंब से कारखाने में पहुँच पाएगी । परन्तु इन 35 दिनों में सूचना के अभाव में कारखाने में उत्पादन पूर्ववत् जारी रहेगा । इसका परिणाम यह होगा कि चालू उत्पादन अभीष्ट उत्पाद का 1.00 = 1.11 अर्थात् प्रतिदिन ---------- 0.9 11 प्रतिशत अधिक होगा । ऐसी परिस्थिति में इस विलंब तिथि पर कारखाना उत्पादन को केवल 10 प्रतिशत काटे बिना ही चलाता रहेगा, जबकि उपभोक्ता माँग कम हुई है तो उसके समक्ष अति उत्पादन की समस्या निरंतर बनी रहेगी । इस प्रकार फर्म उत्पादन-मालसूची तंत्र गतिकी की सहायता लेकर उत्पादन और माँग के उतार चढ़ावों के बीच अभीष्ट संतुलन बनाए रख सकती है ।

Production management
उत्पादन प्रबंध
सामान्य प्रबंध की वह प्रशाखा जिसके अधीन मशीनों, जनशक्ति, कार्यशाला, कच्चा माल तथा विनिर्मित पदार्थों के प्रवाह का नियमन व नियंत्रण सम्मिलित होता है । इसके अधीन विशेषतः कारखाना विन्यास, पथ-निर्धारण, समय-सारणीयन, प्रेषण तथा अनुवर्तन को सम्मिलित किया जाता है । इसे उत्पादन योजना व नियंत्रण के नाम से भी जाना जाता है ।

Productivity of capital
पूंजी की उत्पादिता
पूंजी निवेश और उससे अर्जित उत्पाद के परस्पर अनुपात को पूंजी की उत्पादिता कहा जाता है । इस अनुपात के दोनों घटकों (अर्थात् अंश और हर) को द्रव्य रूप में अथवा भौतिक रूप में मापा जा सकता है । भौतिक रूप में मापन भी द्रव्य की इकाइयों के आधार पर ही होता है क्योंकि माप की इकाइयाँ भिन्न-भिन्न होती हैं, परन्तु अनुपात द्वारा लक्षित उत्पादिता को प्रभावित करने वाले कारण जैसे प्रौद्योगिकी, संगठन, प्रबंध कौशल तथा उत्पादन प्रक्रिया आदि का विश्लेषण भौतिक रूप में किया जाएगा । उत्पादिता का यह रूप आर्थिक विश्लेषण में प्रयुक्त किया जाता है । पंजी उत्पादिता का दूसरा स्वरूप वित्तीय विश्लेषण के क्षेत्र में किया जाता है । इस रूप में यह वित्तीय पूंजी निवेश तथा उससे उपार्जित निवल वित्तीय आय के मध्य अनुपात होता है । इसे निवेश प्रत्याय के रूप में भी व्यक्त किया जाता है । विस्तार के लिए देखिए return on investment (ROI).

Productivity of labour
श्रम-उत्पादिता
पूंजी उत्पादिता की भाँति यह एक आगत-निर्गत अनुपात है । इसका मापन अनेक प्रकार से किया जाता है जिनमें से प्रमुख रूप ये हैं :- (1) उत्पादन प्रति श्रम घंटा = कुल उत्पादन ------------- कुल श्रम घंटे (2) प्रति उत्पादन इकाई में प्रयुक्त श्रम घंटे = कुल श्रम घंटे ------------- कुल उत्पादन मापन की इस विधि का विशेष लाभ यह है कि यदि विभिन्न प्रकार के उत्पादनों को एक समान मापन की इकाई में व्यक्त किया जा सके तो इस अनुपात की सहायता से समग्र उत्पादिता मापी जा सकती है । (3) प्रति इकाई श्रम लागत द्वारा परिवर्धित मूल्य = उत्पादन का मूल्य -श्रम को छोड़कर शेष बाहर से खरीदे गए आगत ---------------------------------------------------------------------- कुल श्रम लागत

Product life cycle
उत्पाद जीवन-काल
बाज़ार द्वारा वस्तुओं को स्वीकार किए जाने की छह अवस्थाएँ जिनमें अग्र-गमन, संवृद्धि, परिपक्वता, संतृप्ति, ह्रास और परित्याग सम्मिलित हैं । किसी भी वस्तु के विक्रय परिमाण का प्रायः एक व्यापक रूप उभर कर आता है जिसके पीछे प्रतियोगिता तथा नए और उत्कृष्ट पदार्थों की बाज़ार में प्रवेश जैसी शक्तियाँ निहित होती हैं ।


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