शांति हेतु एकीकरण प्रस्ताव
कोरिया के युद्ध के दौरीन सुरक्षा परिषद् में सोवियत निषोधाधइकार की वजह से उत्तरी कोरिया के विरूद्ध सैनिक कार्रवाई करने का कोई निर्णय न हो सकने के कारण महासभा ने 3 नंवंबर 1950 को एक प्रस्ताव पारित किया जिसे शांति हेतु एकीकरण प्रस्ताव कहा जाता है । इस प्रस्ताव में कहा गया कि यदि स्थायी सदस्यों में मतैक्य न होने के कारण सुरक्षा परिष्द अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने प्रारंभिक दायित्व को पूरा करने में असफल हो और यह अनुभव किया जाए कि कहीं शांति भंग हुई है अथवा शांति भंग होने का खतरा है अथवा आक्रमण हुआ है तो महासभा उस मामले पर सुरक्षा परिषद् की संस्तुति के बिना भी तुरंत विचार कर सकती है ताकि वह सदस्य - राज्यों को सामूहिक सुरक्षार्थ उपयुक्त संस्तुति कर सके, जिसमें आवश्यक होने पर सशस्त्र बलों का प्रयोग भी शामिल है ।
इस हेतु महासभा का विशेष संकटकालीन अधिवेंशन भी बुलाया जा सकता है । इस प्रकार का अधिवेशन सुरक्षा परिषद् के किन्हीं सात सदस्यों अथा संयुक्त राष्ट्र के आधे से अधिक राज्यों की माँग पर भी बुलाया जा सकता है ।
ऐसा समझा जाता रहा है कि सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था में महासभा, जो मूलरूप से एक प्रभावहीन और केवल विचार - विमर्शकारी अंग था, इस प्रस्ताव के अनुसार एक प्रबावकारी और निर्णयकारी अंग बन गया । कोरिया युद्ध के अतिरिक्त स्वेज़ संकट, कांगो संकट और कश्मीर विवाद मे इसी प्रस्ताव के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र ने कार्रवाई की, परंतु इसके उपरांत इस प्रस्ताव का महत्व घटने लगा । इसका कारण यह था कि महासभा मे एशियाई - अफ्रीकी राज्यों की संख्या बढ़ती गई और पश्चिमी राष्ट्र यह नहीं चाहते थे कि अंतर्राष्ट्रीय शआंति और सुरक्षा संबंधी मामलों में निर्णय करने का अधिकार महासभा पर छोड़ दिया जाए, जिसके बहुमत पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था ।
Universal Declaration of Human Rights
मानव अधिकार घोषणा - पत्र
दे. Human rights.
Universal disarmament
विश्वव्यापी निरस्त्रीकरण, सार्वत्रिक निरस्त्रीकरण
युद्ध की संभावना और उसकी विभीषिका को कम करने के लिए विश्व के विभिन्न राज्यों द्वारा पारस्परिक संधि अथवा समझौते करके युद्ध के विभिन्न प्रकार के घातक अस्त्र - शास्तोरं (जिसमें अण्विक अस्तर - शस्त्र भी सम्मिलित होते हैं ) में भारी कटौती, उनके उत्पादन तथा क्रय - विक्रय पर नियंत्रण और इस हेतु अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण की व्यवस्था इस निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया के भओग माने जाते हैं । इस प्रक्रिया में निर्धारित क्षेत्रों या प्रदेशों को अस्त्र - शास्त्र रहित बनाया जाना भी शामिल है । उदाहरमारप्थ , समुद्र तल एवं अंतरिक्ष में नाभिकीय अस्त्रों का रखना भी वर्जित किया गया है ।
universal international law
विश्वव्यापी अंतर्राष्ट्रीय कानून,
विश्वव्यापी अंतर्राष्ट्रीय विधि
अंतर्राष्ट्रीय विधि के वे मूलभूत नियम अथवा सिद्धांत जो सभी राष्ट्रों के लिए बाध्यकारी माने जाते हैं और जिनकी बाध्यकारिता राज्यों की सहमति पर आश्रित नहीं है ।
एक दूसेर अर्थ में सर्वव्यापी अथवा सामान्य अंतर्राष्ट्रीय विधि विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय विधि से भिन्न हो जाती है क्योंकि विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय विधि केविल निर्धारित क्षेत्रों अथवा महाद्वीपों तक स मित रह जाती है ।
universality principle
सार्वभौमिकता सिद्धांत
दे. Universal jurisdiction.
Universal jurisdiction (=universality principle)
सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार
(सार्वभौमिकता सिद्धांत )
कुछ अपराध ऐसे होते हैं जो सभी रार्जोयं मे अपराध माने जाते हैं क्योंकि वे संपूर्ण मानव जाति और राज्यों के विरूद्ध अपराध होते हैं । अतः उन्हें अंतर्राष्ट्रीय विधि विरोधी अपराध माना जाता है । ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए अपराधी को दंड देने का अधिकार किसी भी ऐसे राज्य को है जिसके क्षेत्राधिकार में वह पकड़ लिया जाए फिर चाहे वह अपराधी किसी भी राज्य का नागरिक क्यों न हो और उसने यह अपराध कहीं भी किया हो ।
परंपरागत अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत जलदस्युता, दास व्यापार, महिलाओं का अनैतिक व्यापार, अफीम और नशीली वस्तुओं का व्यापार, इस प्रकार के अपराध मे गए हैं । वर्तमान काल मे युद्ध अपराध, विमान अपहरण, जनसंहार और आंतकवाद को भी इसी श्रेणी के अपराधों में लाए जाने के पक्ष में वैधिक मत है और इस हेतु अनेक उपाय अपनाए गए हैं ।
universal succession
सार्वत्रिक उत्तराधिकार
जब एक राज्य का अस्तित्व पूर्णतया समाप्त हो जाता है तब उसका वैधिक व्यक्तित्व बी समग्र रूप से नष्ट हो जाता है । उसके सभी अंतर्राष्ट्रीय अधीकार और कर्तव्य उस नवीन राजनीतिक इकाई को प्राप्त हो जाते हैं जो संबंधित प्रदेश मे संप्रभु के रूप में प्रतिष्ठित हुई हो ।
कुछ विद्वानों का मत है कि राज्य उत्तराधिकार जैसी की अंतर्राष्ट्रीय विधि नहीं है। राज्यों के अधिकार और कर्तव्य उन्हे राज्य होने के नाते प्राप्त होते हैं, किसी पूर्वगामी राज्य के उत्तराधिकारी होने के कारण नहीं ।
uniawful combatant
अवैध संयोधी
दे. Combatant.
unneutral services
अतटस्थ सेवाएँ
अतटस्थसेवा का अर्थ है युद्धकाल में स्वेच्छा से कीस तटस्थ जलपोत द्वारा युद्ध - संचालन में किसी युद्धकारी के सहायतार्थ किया गया कार्य । जूलियस स्टोन ने इस प्रकार के पाँच कार्यों का उदाहरणस्वरूप उल्लेख किया है । वे है :- (1) शत्रु सेना के सदस्यों को लाने - ले जाने का कार्य (2) शत्रु को संदेश पहुँचाने अथवा पत्र ले जाने का कार्य (3) युद्धकारी कार्यवाही में प्रत्यक्ष भाग लेना (4) शत्रु के लिए भाड़े पर काम करना (5) शत्रु की सहायतार्थ सैनिक भेद संचारित करना ।
U.N.O.
संयुक्त राष्ट्र संघ
दे. United National Organisation.