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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सेंदुर
ईँगुर की बुकनी, सिंदूर जो सौभाग्यवती स्त्रियाँ माँग में भरती हैं और जो उनके सौभाग्य का चिह्न माना जाता है।
संज्ञा
पुं.
(हिं. सेंदूर)
उ.- (क) मुख मंडित रोरी रंग, सेंदुर माँग छही-१०-२४। (ख) आल मजीठ लाख सेंदुर कहुँ ऐसेहि बुधि अवरेखत-११०८। (ग) कहुँ जावक कहुँ बने तमोर रँग कहुँ अँग सेंदुर दाग्यौ-१९७२।
मुहा. सेंदुर चढ़ना- स्त्री का विवाह होना (विवाह में वर जब कन्या की माँग में सेंदुर भरता है तभी से वह उसकी पत्नी बन जाती है)। सेंदुर देना- विवाह के समय वर का कन्या की माँग भर कर उसको पत्नी बनाना।

सेंदुरानी
सिंदूर रखने की डिबिया, सिंदूरा
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेंदुर + फ़ा. दानी)

सेंदुरा
सेंदुर-जैसे लाँल रंग का।
वि.
(हिं. सेंदुर)

सेंदुरा
सेंदुर रखने की डिबिया।
संज्ञा
पुं.

सेंदुरिया
सेंदुर-जैसे लाल रंग का।
वि.
(हिं. सेंदुर)

सेंदुरि, सेंदुरी
सेंदुर-जैसे लाँल रंग की गाय।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेंदुर)
उ,- कजरी धौरी सेंदुरी धूमरि मेरी गैया-६६६।

सेंदुरि, सेंदुरी
सेंदुर जैसे लाल रंग की।
वि.
स्त्री.
(हिं. सेंदुर)

सेंद्रिय
जिसमें इंद्रियाँ हों, सजीव।
वि.
(सं.)

सेंद्रिय
जो पुरूषत्वयुक्त हो।
वि.
(सं.)

सेंध
चोरी करने के लिए दीवार में किया गया ऐसा छेद जिससे होकर चोर घर के भीतर जा सके और माल बाहर लाया जा सके।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेधि)


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