logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

से
करण और अपादान कारकीय चिन्ह, तृतीया और पंचमी की विभक्ति।
प्रत्य.
[प्रा. सुंतो, पु. हिं. सेंति]

से
समान, सदृश।
वि.
(हिं. सा)

से
वे।
सर्व.
(हिं. सो)

सेइ
सेवा करके।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.- ताकौं सेइ परम गति पावत-५-२।

सेइए, सेइयै
उपासना या आराधना कीजिए।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.- (क) तातै सेइयै श्री जदुराइ-१-२६५। (ख) पिय अपना ना होइ तऊ ज्यौं ईस सेइए कासी-२२७५।

सेउ
एक तरह का पकवान।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेविका)

सेउ
सेवा।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेवा)

सेऊँ
सेवा, उपासना या आराधना करूँ।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.- श्री बृषभानु-सुता-पति सेऊँ -१८५८।

सेए
सेवा, उपासना या आराधना की।
क्रि.स.
(सं. सेवन, हिं. सेना)
उ.- (क) सेए नाहि चरन गिरिधर के-१-१४७। (ख) द्वादस वर्ष सेए निसि-बासर तब संकर भाषी है लैन-९-१२।

सेए
सेए तैं - सेवा आदि करने से।
प्र.
उ.- सूरज दास स्याम सेए तें दुस्तर पार तरै-१-८२।


logo