logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

सेठ
थोक व्यापारी।
संज्ञा
पुं.
(सं. श्रेष्ठी)

सेठ
खत्रियों की एक प्रसिद्ध जाति।
संज्ञा
पुं.
(सं. श्रेष्ठी)

सेठन
झाड़ू, बुहारी।
संज्ञा
स्त्री.
(देश.)

सेत
नदी आदि का पुल।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेतु)
उ.-(क) सिला तरी जल माहिं सेत बैधि-१-३४। (ख) सकल विषय-बिकार तजि तू उतरि सायर-सेत-१-३११। (ग) करि कपि कटक चले लंका कौं छिन मैं बाँध्यौ सेत-सारा. २८।

सेत
खेत की मेंड़।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेतु)

सेत
हद, सीमा।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेतु)

सेत
सफेद, उजला।
वि.
(सं. श्वेत)
उ.-(क) सेत उपरना सोहै-१-४४। (ख) सेत सींग सुहाइ-१-५६। (ग) नीलांबर पाटंबर सारी सेत पीत चुनरी अरुनाए-७८४।
मुहा.- स्याम चिकुर भए सेत-काले बाल सफेद हो गये, युवावस्था से बुढ़ापा आ गया। उ.-इतनौ जन्म अकारथ खौयौ, स्याम चिकुर भए सेत-१-३२२।

सेतकुली
सफेद जाति का नाग जो सर्पों के अष्टकुल में एक है।
संज्ञा
पुं.
(सं. श्वेतकुलीय)
उ.-मोकों तुम अब जज्ञ करावहु। तच्छक कुटुँब समेत जरावहु। बिप्रन सेतकुली जब जारी। तव राजा तिनसौं उच्चारी-१० उ.-२०५।

सेतदुति
चन्द्रमा।
संज्ञा
पुं.
(सं. श्वेतद्युति)

सेतना, सेतनो
इकट्ठा, संगृहीत या संचित करना।
क्रि.स.
(हिं. सैंतना)


logo