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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सेल्ही
योगियों की माला।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेला)

सेल्ही
गले में लपेटने की चादर।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेला)

सेल्ही
छोटा भाला या बरछी।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेली)

सेवँई
मैदे के सूत के लच्छे जो घी में तलकर और दूध में पकाकर खाये जाते हैं।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेविका)

सेवंत
एक राग।
संज्ञा
पुं.
(सं. सामंत)

सेवँर
एक वृक्ष जिसके फलों से एक प्रकार की रुई निकलती है।
संज्ञा
पुं.
(हिं. सेमल)

सेव
बेसन का बना हुआ एक पकवान जो नमकीन भी बनाया जा सकता है और पागकर मीठा भी।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेविका)
उ.-(क) फेनी सेव अँदरसे प्यारे-३९६। (ख) सेव सुहारी घेवर घी के -२३२१।

सेव
टहल, परिचर्या।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेवा)
उ.-राजा सेव भली बिधि करै। दंपति-आयसु सब अनुसरै-१-२८४।

सेव
पूजा, उपासना, आराधना।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेवा)
उ.-(क) तातैं बिबस भयौं करुनामय छाँड़ि तिहारी सेव-१-४९। (ख) करै जो सेव तुम्हारी सो सेइयो बिष्नु सिव ब्रह्म मम रूप सारे-१० उ.-३५।

सेव
उपासना, आराधना करो।
क्रि.स.
(हिं. सेवना)
उ.-सेव चरन-सरोज-सीतल तजि बिषय रस पान-१-३०७।


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