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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सेचन
छिड़काव।
संज्ञा
पुं.
(सं.)

सेचन
अभिषेक।
संज्ञा
पुं.
(सं.)

सेज
पलंग, शैया।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. शय्या, प्रा. सज्जा)
उ.-(क) सेज छाँड़ि भू सोयौ-१-४३। (ख) बैठत उठत सेज-सोवत मैं कंस डरनि अकुलात-१०-१२। (ग) स्वच्छ सेज मैं तैं मुख निकसत गयौ तिमिरि मिटि मंद-१०-२०३। (घ) दामिनि की दमकनि बूँदनि की झमकनि सेज की तलफ कैसे जीजियत माई है-२८२७।

सेजपाल
राजा की शैया या शयनगृह पर पहरा देनेवाला।
संज्ञा
पुं.
(हिं. सेज + पाल)

सेजरिया, सेजिया
छोटा पलँग, शैया।
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. सेज)
उ.-सोइ रहौ सुथरी सेजरिया-१०-२४६।

सेज्या
पलँग, सेज, शैया।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. शय्या)
उ.-(क) कमलनैन पौढ़े सुख-सेज्या-१-१६८। (ख) किंज-भवन कुसुमनि की सेज्या अपने हाथ निवारत पात -१८९३। (ग) कोमल कमल दलनि सेज्या रची-२२९८।

सेझना, सेझनो
हटना, दूर होना।
क्रि.अ.
(सं. सेधन)

सेटना, सेटनो
मानना, समझना।
क्रि.अ.
(सं. श्रत)

सेटना, सेटनो
महत्व स्वोकार करना।
क्रि.अ.
(सं. श्रत)

सेठ
बड़ा महाजन या साहूकार।
संज्ञा
पुं.
(सं. श्रेष्ठी)


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