Principle of parity of authority and responsibility
प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व समता सिद्धांत
प्रबंध का एक प्रमुख सिद्धांत जिसके अनुसार कार्यों का उत्तरदायित्व, प्रत्यायोजित प्राधिकार से न अधिक हो सकता है और न ही कम होना चाहिए। विपरीत स्थिति उत्पन्न हो जाने पर इस सिद्धांत की सहायता से संबंधित व्यक्ति पर स्पष्ट दायित्व निर्धारण किया जा सकता हैं ।
Principle of motion economy
गति मिताचरण के सिद्धांत
प्रत्येक कारखाना यह चाहेगा कि उसके कार्मिक अपने काम का इस प्रकार आयोजन करें कि कम से कम थकावट और ऊर्जा व्यय के साथ इच्छित उत्पादन प्राप्त हो जाए । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए गति मिताचरण के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है । इन सिद्धांतों का संबंध काम के विन्यास, हाथ और शरीर के प्रयोग, औजारों और उपस्करों से होता है । इन सिद्धांतों में एक सिद्धांत यह है कि दोनों हाथ अपनी गति को एक समय में साथ-साथ प्रारंभ करें और साथ-साथ समाप्त करें । एक अन्य सिद्धांत ये है कि सभी औजारों और कच्चे मालों के लिए एक निश्चित और सुविधाजनक स्थान होना चाहिए । एक तीसरा सिद्धांत यह प्रतिपादित करता है कि हाथों को ऐसे सब काम से मुक्त कर देना चाहिए जो एक अधिक कारगार ढंग में किसी जिग, जुड़नार अथवा अन्य किसी पद-चालित विधि से किया जा सकता हो ।
Private company
निजी कंपनी, प्राइवेट कंपनी
कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के अनुसार 'निजी कंपनी' का आशय ऐसा कंपनी से है जिसने अपने अंतर्नियमों द्वारा
(1) अपने शेयरों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाया हुआ है ;
(2) जिसके सदस्यों की संख्या 50 से अधिक नहीं हो सकती (इसमें वे सदस्य शामिल नहीं हैं जो कंपनी के भूतपूर्व या वर्तमान कर्मचारी हैं) ; तथा
(3) जो अपने शेयरों और डिबेंचरों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित नहीं करती ।
Private enterprise
निजी उद्यम
वे व्यापारिक तथा सेवा संबंधी उपक्रम जिनका संपूर्ण या अधिकांश स्वामित्व निजी पूंजीपतियों के हाथ में हो, निजी उद्यम कहलाते हैं । ऐसे उद्यमों की मूल आर्थिक प्रेरणा व्यक्तिगत लाभार्जन होती हैं । किसी भी समाज या देश की लोक नीति के अंतर्गत इनकी न्यूनाधिक मात्रा में स्थापना की व्यवस्था होती है । ऐसे उद्यम अनेक प्रकार के स्वामित्व ढाँचों को लेकर निर्मित किए जाते हैं । जैसे एकाकी व्यापारी, साझेदारी, संयुक्त पूंजी कंपनी, सहकारी समिति तथा संयुक्त हिन्दू परिवार । प्रायः ऐसे उद्यमों पर सरकारी नियमन एवं नियंत्रण हुआ करता है ताकि लोकनीति के उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके ।
Private limited company
निजी सीमित कंपनी
कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3(1) (iii) के अनुसार "निजी कंपनी" से आशय ऐसी कंपनी से है जिसने अपने अंतर्नियमों द्वारा
(1) अपने शेयरों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाया हुआ है ;
(2) जिसके सदस्यों की संख्या 50 से अधिक नहीं हो सकती (इसमें वे सदस्य शामिल नहीं हैं जो कंपनी के भूतपूर्व या वर्तमान कर्मचारी हैं ) ; तथा
(3) जो अपने शेयरों और डिबेंचरों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित नहीं कर सकती ।
प्रत्येक निजी कंपनी के नाम के अंत में 'प्राइवेट लिमिटेड' शब्दों का प्रयोग अनिवार्य हैं ।
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Private placement of securities
प्रतिभूतियों की संस्थागत बिक्री
प्रतिभूतियों के नए निर्गमन की संस्थागत विनियोजनों को प्रत्यक्ष बिक्री । जैसे जीवन बीमा कंपनियाँ, बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं को प्रत्यक्ष बिक्री ।
Probability theory
प्रायिकता सिद्धांत
गणितीय सिद्धांत से संबंधित सामान्य पद जिससे अनुमान लगाया जाता है कि किसी विशेष घटना वा घटनाओं की श्रृंखला के घटित होने की क्या संभावना होगी । यह अनुमान और भावी कथन, भूतपूर्व अनुभव और उपलब्ध सामग्री पर आधारित होते हैं । प्रायिकता सिद्धांत व्यवसाय और अनेक आर्थिक क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता हैं । जहाँ अनिश्चितता के तत्व विद्यमान होते हैं, वहाँ यह जानने की कोशिश करना कि 'एक्स' उत्पादन का कितनी 'वाई' उपज 'जेड' क़ीमत पर अगले वर्ष बेची जा सकती हैं ।
Process costing
प्रक्रिया लागत प्रणाली
यह वह लागत प्रणाली है जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रक्रिया की अलग-अलग लागत निकाली जाती है और तत्पश्चात् प्रति इकाई लागत के लिए उस विशिष्ट प्रक्रिया की कुल लागत को कुल उत्पादन की इकाइयों से भाग दिया जाता है। ये प्रक्रियाएँ एक के बाद दूसरी के क्रम में जब समाप्त होती हैं तब सभी प्रक्रियाओं की लागत अंतिम प्रक्रिया की लागत में प्रदर्शित होती है । पूर्व प्रक्रिया का तैयार माल बाद वाली प्रक्रिया का कच्चा माल बन जाता है । अतः इस प्रणाली का प्रधानतः वहाँ प्रयोग किया जाता है जहाँ प्रायः सतत् परिचालन से माल तैयार किया जाता है । जैसे कागज़ मिल, कपड़ा मिल, रसायन-कारखाने । यह कार्य लागत प्रणाली से भिन्न है।
Produce exchange
वस्तु विपणी, मंडी
एक संगठित बाज़ार जहाँ व्यापारी किसी निश्चित माल के क्रय-विक्रय की संविदाएँ करते हैं । ये संविदाएँ माल की तत्काल या भाव सुपुर्दगी के संबंध में होती हैं । इनमें माल की क़ीमत, गुणवता और सुपुर्दगी की शर्तों आदि का उल्लेख किया जाता हैं । वस्तु विपणी की विशेषता यह है कि माल को प्रत्यक्ष रूप से विक्रय केन्द्र में नहीं रखा जाता ।
Product development
उत्पाद विकास
किसी फर्म द्वारा अपने वर्तमान बाज़ारों में नए तथा-सुधरे हुए उत्पादों का विकास कर विक्रय बढ़ाने का प्रयास । यह निम्न प्रकार से संभव है:--
(1) वर्तमान पदार्थों की विशेषताओं को समायोजित, संशोधित, प्रतिस्थापित, पुनर्व्यवस्थित, समेकित, विस्तृत करके विशेषताओं अथवा वस्तु के स्वरूप का विकास ;
(2) उत्पाद के विभिन्न गुण-भेदों का सृजन ; तथा
(3) वस्तुओं के नए मॉडलों एवं आकारों का विकास ।