चक्की के नीचे के पाट के बीच में जड़ी हुई छोटी मेख जिस पर ऊपर का कीला घूमता है, लकड़ी का वह गोला डंडा जो गड़ार के बीचों बीच लगा रहता है और जिस पर नीचे का पाट जमाया जाता है।
कुची
चक्की से आटा साफ करने की खजूर की झाडू।
कुनई, कुंडरी
चक्की को आवश्यकतानुसार हल्का या भारी करने के लिये संजोव में पहिनाया गया मंज या कपड़े की धजी का छोटा छल्ला यह छल्ला चक्की के दोनों पाटों को एक दूसरे से अलग रखता है और उनको परस्पर जमने नहीं देता, छल्ला, जितना मोटा होता है चक्की के ऊपर का पाट नीचे के पाट से उतना ही ऊपर उठा रहता है और चक्की उतनी ही हल्की चलती है दलिया या मोटा आटा पीसने के लिये यह छल्ला बहुत आवश्यक है।
कौर
अनाज पीसने के लिये चक्की के मुँह में एक बार में अनाज के जितने दाने डाले जाते हैं वहएक कौर या झौंक कहलाता है।
गड़ार
चक्की के चारों ओर बना हुआ कूंड़े के आकार का मिट्टी का घेर जिसमें चक्की का नीचे का पाट स्थायी रूप से जमा रहता है और जिसमें चक्की से निकलता हुआ आटा पिस पिसकर गिरता रहता है इसे गड़ार और कहीं कहीं गंड भी कहते हैं।
गरंड, गंड
दे. गड़ार।
गरई चकिया
आटा पीसते समय भारीचलने वाली चक्की।
गरो
गला, चक्की का मुँह जिसमें पीसने के लिये अनाज डालते हैं।
घाट
चक्की के पाट में एक दूसरे को समकोण पर काटती हुई टांककर बनाई गई दो धारियाँ जिनसे आटा पिसकर शीघ्रता सए नीचे गिरता है ,ये धारियाँ दोनों पाटों में समान रूप से बनी होती है।
चकिया
चक्की अनाज इत्यादि पीसने की हाथ की कल जो पत्थर के दो गोल और आवश्यकतानुसार छोटे-बड़े पाटों का समन्वय होती है नीचे के पाट में एक छोटा छेद होता है जिसके द्वारा वह गड़ार में लगे हुए लकड़ी के कीले पर मजबूती से जमा दिया जाता है, लकड़ी के कीले में संजोव लगा रहता है जिस पर मानी की सहायता से ऊपर का पाट घूमता है।