ज्ञापक परिभाषा
एस. एफ. बार्कर (`दि एलीमेन्ट्स ऑफ लॉजिक` के लेखक) द्वारा ऐसी परिभाषा के लिए प्रयुक्त पद जो न तो शब्द के भाषा में पहले से प्रचलित अर्थ को बताती है और न वक्ता के द्वारा उसे दिया हुआ कोई नया अर्थ बताती है, बल्कि उसके द्वारा व्यक्त वस्तु की किसी ऐसी विशेषता की ओर ध्यान खींचती है जिसे वक्ता विशेष महत्त्व की समझता है, जैसे, `स्थापत्य` की यह परिभाषा कि वह `हिमीभूत संगीत` है।
Reverence
श्रद्धा
धार्मिक संदर्भ में ईश्वर, देवी-देवता व आप्त पुरूषों के प्रति आदर और विश्वास का सूचक, एक भाषा विशेष। कांट के दर्शन में नैतिक नियम के प्रति एक मानवीय भाव।
Revisionism
संशोधनवाद
विशेषतः एक आंदोलन जो मूल मार्क्सीय समाजवाद में किन्हीं बातों में शोधन करवाने के लिए (जैसे, क्रांति के प्रत्यय को मूल कार्यक्रम से हटवाने के लिए) कुछ समाजवादी क्षेत्रों में चल पड़ा है।
Revivalism
पुनरूद्धारवाद, पुनरूत्थानवाद
अतीत की अथवा ऐसी बातों को जो कालान्तर में अनुपयोगी समझकर छोड़ दी गई है, पुनः चलाने का प्रयत्न अथवा इसकी प्रवृत्ति।
Ridiculous Hypothesis
हास्यास्पद प्राक्कल्पना
ऐसी प्राक्कल्पना जो तथ्यों की हास्यास्पद व्याख्या प्रस्तुत करे, जैसे पृथ्वी शेषनाग के फण के ऊपर स्थित है।
Right
1. अधिकार : वह वस्तु जिसका कोई नैतिक या कानूनी रूप में दावा कर सकता है, समाज के द्वारा स्वीकृत दावा। (स.)
2. उचित, सत् : किसी नैतिक मानक या सिद्धांत के अनुसार (कर्म इत्यादि)। (वि.)
Righteousness
धर्मपरायणता, नीतिपरायणता
मनुष्य की स्वभावगत, वह श्रेष्ठ विशिष्टता जिसके फलस्वरूप, वह जीवन में नीति और धर्म का आचरण करता है।
Rigorism
कठोरतावाद, निग्रहवाद
वह मत कि नियम का आचरण में कठोरता से पालन किया जाना चाहिए, उसमें कोई शैथिल्य या अपवाद नहीं आने देना चाहिए, अथवा नैसर्गिक इच्छाओं, प्रवृत्तियों और भावनाओं का निग्रह करना चाहिए।
Rite
कर्मकांड
परंपरागत रूप से स्वीकृत कर्मानुष्ठान। यथा चूड़ाकर्म आदि।
Ritualism
कर्मकांडवाद, धर्मविधि
1. विभिन्न धर्मों की वह मान्य संहिता, जो उक्त धर्म के बाह्य पक्ष को नियंत्रित और निर्देशित करती है।
2. कतिपय धर्मों (जैसे मीमांसा) की वह मान्यता, जिसके अनुसार शास्त्र प्रतिपादित/निषिद्ध कर्मों के फलस्वरूप ही सुख, स्वर्ग अथवा नरक प्राप्त होते हैं।