संकलनात्मक कल्प निर्णय, समूहवाची कल्प निर्णय
बोसांके के तर्कशास्त्र में वह सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति जो संबंधित एक-व्यापी प्रतिज्ञप्तियों का संकलित रूप प्रतीत होती है, पर वास्तव में ऐसी नहीं होती। उदाहरण के लिए ''सभी मनुष्य मरणशील हैं'', ''राम मरणशील है'', ''श्याम मरणशील है'', ''मोहन मरणशील है'' - इत्यादि प्रतिज्ञप्तियों का योगफल प्रतीत होती है, पर वास्तव में वह है नहीं। इसी प्रसंग में रसल ने सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति को अनस्तित्व परक (non-existential) और अंशव्यापी प्रतिज्ञप्ति को अस्तित्वपरक (existential) कहा है।
Quasi-Conscience
अन्तार्विवेक-कल्प
जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे सिद्धांत के विरूद्ध कर्म करता है जिसे वह सर्वोच्च नैतिक महत्तव का नहीं मानता, ऐसी स्थिति में उसके भीतर जो पीड़ा उत्पन्न होती है, उसे मैकेन्जी ने अर्न्तविवेक-कल्प की संज्ञा दी है।
Quasi-Numerical Quantifier
संख्या-कल्प परिमाणक
वाक्य में प्रयुक्त ''कुछ'', ''अनेक'', ''अधिकतर'' जैसे शब्द जो प्रतिज्ञप्ति के परिमाण को निश्चित संख्या के रूप में व्यक्त नहीं करते उन्हें संख्या-कल्प परिमाणक कहते हैं।
Quasi-Ostensive Definition
निदर्शक-कल्प परिभाषा
वह परिभाषा जिसमें संकेत के साथ-साथ कुछ वर्णनात्मक शब्दों का भी प्रयोग होता है, जैसे : ''मेज इस तरह के फर्नीचर को कहते हैं'', जो इस आशंका के कारण किया जाता है कि श्रोता कहीं उंगली के सामने पड़नेवाली किसी अन्य वस्तु को, जैसे एक रंग-विशेष को, मेज न समझ बैठे।
Quasi-Substantive
द्रव्यक कल्प, अर्द्धतात्त्विक
जॉनसन के तर्कशास्त्र में, वह शब्द जो मुख्यतः विशेषण का कार्य करता है, पर एक विशेष वाक्य में विशेष्य के रूप में प्रयुक्त हुआ हो।
Quaternary Relation
चतुष्पदी संबंध
वह संबंध जो चार पदों के मध्य हो। उदाहरण : ''राम ने मोहन से गाय लेकर सोहन को दी।
Quaternio Terminorum
चतुष्पद दोष
देखिए `fallacy of four terms`।
Queen Monad
प्रधान चिदणु
लाइब्नित्ज़ के अनुसार, चिदणुओं की एक संहति में वह चिदणु जो सबसे अधिक विकसित होता है, से शरीर में मन या बुद्धि।
Question Begging Epithet
प्रमाणापेक्ष विशेषण
ऐसा विशेषण जिसका प्रयोग किसी प्रमाण के बिना कर दिया गया हो और इसलिए जिसका प्रतिवाद किया जा सकता हो।
Quibbling
वाक्छल
ऐसे तर्कों का प्रयोग जो विवाद को मुख्य विषय से हटा दे और वह महत्वहीन बातों में उलझ कर रह जाए।