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Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
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Noumenal World
पारमार्थिक जगत् कांट के दर्शन में अभिव्यक्त ऐसा जगत् जिसका ज्ञान हमें अपनी इन्द्रियों के द्वारा नहीं होता क्योंकि इसकी संवेदना प्राप्त करने में ये असमर्थ हैं। कांट इसे वस्तुओं का निज-स्वरूप (thing-in-it-self) कहते हैं और इसे ही वास्तविक जगत् मानते हैं।

Noumenon
परमार्थसत् कांट के अनुसार वह जो अलौकिक, अज्ञेय तथा अनुभवातीत सत् हो, परमार्थसत् कहलाता है।

Nous
नाउस, चित्ततत्त्व प्राचीन यूनानी दर्शन की एक आधारभूत अवधारणा जो एनेक्जेगोरस के दर्शन में पहली बार सुस्पष्ट रूप में अभिव्यक्त हुई। इसके अनुसार नाउस ही वह चेतन तत्त्व है जो आकारहीन भूत-द्रव्य को गढ़ता तथा व्यवस्थित करता है। कालान्तर में प्लेटो तथा विशेष रूप से अरस्तू इसकी प्रत्ययवादी परिभाषा करते हुए इसे समस्त रूपों का शाश्वत आत्म-अनुध्यान की अवस्था में रहने वाला रूप माना है। आगे चलकर नव्य-प्लेटोवादियो ने इसे विशेष महत्ता प्रादन करते हुए अरस्तूवाद के आधार पर इसकी एक, विशेष प्रकार के अतीन्द्रिय स्वत्व के रूप में व्याख्या की, जो जगत का अर्थ तथा निश्चित रूप, आकार प्रदान करता है।

Null Proposition
रिक्त प्रतिज्ञप्ति, शून्य प्रतिज्ञप्ति तर्क-बीजगणित के अन्तर्गत ऐसी प्रतिज्ञप्तियाँ जो कभी सत्य नहीं होती (जॉर्ज बूल, अर्नस्ट श्रोडर)। ऐसी प्रतिज्ञप्तियों का कोई निर्देश्य पदार्थ नहीं होता। यथा आकाशकुसुम लाल होता है।

Null Relation
रिक्त संबंध बूल-श्रोडर तर्क-बीजगणित में, वह संबंध जो विश्व की किसी भी वस्तु का किसी अन्य वस्तु से नहीं होता है।

Number
संख्या पाइथागोरस के अनुसार परम् सत् को संख्यात्मक अभिव्यक्तियों, संख्या की स्थिति और संख्यात्मक सत्ताओं के द्वारा समझा जा सकता है। प्रत्ययवाद और नामवाद में सामान्यों के संदर्भ में संख्या की चर्चा होती है। प्लेटोवाद, अंतःप्रज्ञावाद एवं नामवाद में संख्या की चर्चा प्रमुख है।

Numen
दिव्यतत्त्व जर्मन धर्मशास्त्री रूडोल्फ ओटो (Rudolf Otto 1869-1937) के अनुसार, एक विशेष और विचित्र प्रकार की दिव्यानुभूति (`numinous feeling`) को जन्म देनेवाला दिव्य तत्त्व अर्थात् इस अनुभूति का विषय। इस अनुभूति में भीति, आश्चर्य, श्रद्धा, मूल्य इत्यादि अनेक तत्त्वों का समावेश रहता है और इन सबसे वह भिन्न है।

Numinous
दिव्यानुभूति रूडोल्फ ओटो के अनुसार, सच्चे धर्मात्मा व्यक्ति की मनःस्थिति जिसमें उसको एक अद्भूत, चमत्कारी, रहस्यमयी पवित्र, प्रेरणादायक शक्ति का बोध होता है और उससे भय भी होता है।


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