परिनिष्पन्नता, सिद्धता
अरस्तू के दर्शन में, वस्तु की वह अवस्था जिसमें उसकी सारी अव्यक्त शक्तियाँ पूर्णतः व्यक्त हो जाती हैं, उसकी सभी संभावनाएँ वास्तविक हो जाती हैं।
Energism (Energetism)
ऊर्जावाद, शक्तिवाद
ऊर्जा को अंतिम तथा पुद्गल या भौतिक द्रव्य का भी मूल मानने वाला एक तत्त्वमीमांसीय सिद्धांत। नीतिशास्त्र में, वह सिद्धांत कि सुख नहीं, बल्कि मानवीय शक्तियों का पूर्ण उपयोग करना ही परम शुभ है।
Enforcement Of Morality
नीति-प्रवर्तन
किसी उच्चतर शक्ति के द्वारा व्यक्ति और समाज से नैतिकता का पालन करवाना।
Ens Parmenideum
पार्मेनिडीज़ी सन्मात्र
परिवर्तन से बिल्कुल शून्य सत्त्ता : प्राचीन यूनानी दार्शनिक पार्मेनिडीज़ की इस मान्यता के अनुसार कि परिवर्तन भ्रम मात्र है, तत्त्विक नहीं।
Ens Rationis
बौद्धिक सन्मात्र
वह सत्त्ता जिसका केवल मानसिक अस्तित्व हो, बाह्य जगत् में नहीं।
Entailment
अनुलाग
दो प्रतिज्ञप्तियों के मध्य ऐसा संबंध कि एक का दूसरी से निगमन किया जा सके।
Entelechy
ऐंटेलिकी, अंतस्तत्व
विशेषतः जर्मन दार्शनिक ड्रीश (Driesch) के अनुसार, वह अतिभौतिक शक्ति जो जीवित देह में व्याप्त रहते हुए उसके अंदर की भौतिक और रासायनिक क्रियाओं को एक प्रयोजन के अनुसार चलाती है तथा उसे एक पूर्ण अवयवी के रूप में विकसित करती है।
Entheism
अंतरीश्वरवाद
जर्मन दार्शनिक कारूस (Carus) का मत जिसके अनुसार प्रकृति में व्याप्त दिव्य सर्जनात्मक शक्ति (ईश्वर) संगठन, संरचन तथा आंगिक एकता के रूप में स्वयं को व्यक्त करती है।
Enthymeme
लुप्तावयव न्यायवाक्य
तर्कशास्त्र में, वह न्यायवाक्य जिसकी एक प्रतिज्ञप्ति (आधारवाक्य या निष्कर्ष) व्यक्त न की गई हो। जैसे ; 'राम मरणशील है, क्योंकि वह मनुष्य है।' इसमें आधारवाक्य 'सभी मनुष्य मरणशील हैं' लुप्त है।
Enthymeme Of The First Order
लुप्तसाध्य न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य व्यक्त न किया गया हो। जैसे : 'रवीन्द्र भारतीय है, क्योंकि वह बंगाली है'।