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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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नियामत
अलभ्य या दुर्लभ वस्तु।
संज्ञा
[अ. नेअमत]

नियामत
उत्तम भोजन।
संज्ञा
[अ. नेअमत]

नियामत
धन-संपत्ति।
संज्ञा
[अ.नेअमत]

नियामिका
नियम, विधान या व्यवस्था बाँधनेवाली।
वि.
[सं.]

नियारा
अलग, भिन्न।
वि.
[सं. निर्निकट, प्रा. निन्निअड़]

नियारिया
मिली-जुली वस्तुओं को अलग करनेवाला।
संज्ञा
[हिं. नियारा]

नियारिया
चतुर व्यक्ति।
संज्ञा
[हिं. नियारा]

नियारे
जो निकट या समीप न हो, दूर।
उ.- इन अँखियनि आगै तैं मोहन, एकौ पल जनि होहु नियारे - १०-२९६।
[हिं. न्यारा]

नियारे
अलग, पृथक, साथ न रहना।
उ.- पाँच-पचीस साथ अगवानी, सब मिलि काज बिगारे। सुनी तगीरो, बिसरि गई सुधि, मो तजि भए नियारे - १-१४३।
[हिं. न्यारा]

नियाव
न्याय।
संज्ञा
[सं. न्याय]


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