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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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प वर्ग का पहला और हिंदी का इक्कीसवाँ व्यंजन; वह स्पर्श ओष्ठ्य वर्ण है।

पंक
कीच, कीचड़।
उ.- कुंभकरनतन पंक लगाई, लंक बिभीषन पाइ-९-८३।
संज्ञा
[सं.]

पंक
सुगंधित लेप।
उ.- स्याम अंग चंदन की आभा नागरि केसरि अंग। मलयज पंक कुमकुमा मिलि कै जल-जमुना इक रंग।
संज्ञा
[सं.]

पंकज
कमल।
संज्ञा
[सं.]

पंकज
कीचड़ से उत्पन्न होनेवाला।
वि.

पंकजराग
पद्मराग मणि।
संज्ञा
[सं.]

पंकजासन
ब्रह्मा।
संज्ञा
[सं.]

पंकजिनी
कमलिनी।
संज्ञा
[सं.]

पंकरुह,पंकेरुह
कमल।
उ.- मनो मुख मृदुल पानि पंकेरुह गुरुगति मनहुँ मराल बिहंगा-१९०५।
संज्ञा
[सं.]

पंकिल
जिसमें कीचड़ हो।
वि.
[सं.]


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