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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

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अँधेरौ
संज्ञा
[हिं. अँधेरा]
धुँधलापन।

अँधेरौ
संज्ञा
[हिं. अँधेरा]
उदासी, उत्साहहीनता, निराशा,
पाछे चढ़ो विमान मनोहर बहुरौ जदुपति होत अँधेरै-२५३२।

अँधेरौ
वि.
अंधकारमय।

अँधेरौ
वि.
अंधा।
एक अँधेरो हिये की फूटी दौरत पहिर खराऊँ-३४६६।

अंधौ
संज्ञा
[सं. अंध, हि, अवा]
अंधा प्राणी, नेत्रहीन व्यक्ति।
जैसे अध अब कूप मैं गनत न खाल-पनार---१-८४।

अँध्यारी
वि.
[हिं. पुं. अँधियार]
अँधेरी, प्रकाशरहित।
भादौं की अधराति अँध्यारी१०.११।

अँध्यारी
संज्ञा
श्यामता, कालिमा।
अलक वारत अँध्यारी तिलक भाल सुदेस–१४१३।

अँध्यारैं
संज्ञा
[हिं. अँधियारा]
अँधेरे में।
कबहुँ अघासुर बदन सामाने, कबहुँ अँध्यारैं जात न धाम--४९७।

अँध्यारौ
संज्ञा
[हिं. अँधेरा]
अँधेरा।
आवहु बेगि चलौ घर जैऐ, वनहीं होत अँध्यारो-५०५।

अंब
संज्ञा
[सं. आम्, प्रा. अंब]
आम का पेड़।
अंब सुफल छाँड़ि, कहा से मर को धाऊँ १-१६।


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