ऐसे बादर सजल करत अति महाबल चलत घहरात करि अंधकाला---९४६।
अंधकूप
संज्ञा
[सं.]
सूखा कुआँ।
अंधकूप
संज्ञा
[सं.]
अँधेरा।
अंधधुंध
संज्ञा
[सं. अंध = अंधकार + हिं. धुंध]
अंधकार, औधेरा।
अति विपरीत तृनावर्त आयौ। बात चक्र मिस ब्रज के ऊपर नंद पौरि के भीतर आयौ। अंधधुंध (अँधाधुंध) भयौ सब गोकुल जो जहां रह्यो सो तहाँ छपायौ--१०-७७।
(ख) कोउ ले ओट रहत बृच्छन की अंधधंध दिसि बिदिस भुलाने-९५१।
(ग) अँधधुंध मग कहूँ न सूझे--१०५०।