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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-I)

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ऐंड़ाना
क्रि. अ.
[हिं. ऐंड़ना]
अँगड़ाई लेना।

ऐंड़ाना
क्रि. अ.
[हिं. ऐंड़ना]
ठसक दिखाना।

ऐंड्रोनी
क्रि. अ.
[हिं. एैंड़ाना]
अँगड़ाई ली।
बाँह उँचाइ ज़ौरि जमुहानी ऐंड़ानी कमनीय कामिनी--२११७

ऐड़ाघत
क्रि. अ.
[हिं. ऐंड़ाना]
अँगड़ाई लेते हैं।
(क) खेलत तुल निसि अधिक गई, सुत नैननि नींद झँपाई। बदन जँभात, अग ऐंड़ावत, जननि पलोटहि पाई-१०-२४२। (ख) कबहुँक बाँह जोरि ऐंड़ाबत बहुत जम्हात खरे---१९७४।

ऐंडी
क्रि. अ.
[हिं. ऐड़ना]
घमण्ड करके, इठलाकर।
जिन सों कृपा करी नँदनदन सो कहे न ऐंड़ी डोलै-३०९ १।

संज्ञा
[सं.]
शिव।

अव्य.
[सं. अयि या हिं. हे]
सम्बोधन-सूचक अव्यय।

ऐक्य
संज्ञा
[सं.]
एक होने का भाव।

ऐक्य
संज्ञा
[सं.]
एका, मेल।

ऐगुन
संज्ञा
[सं. अवगुण]
दोष, बुराई।


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