पहिए की नाभि के छेद में लगा हुआ लोहे का पोला जो नाभि को धुरे की रगड़ से बचाने के लिए लगाया जाता है, इसे साम या सामा भी कहते हैं।
आउन बिठाना
आउन के नार के सुराख में मजबूती से फंसाना।
आड़
ढाल के ऊपर खड़ी हुई गाड़ी के पहिए के नीचे लगाने की पत्थर या लकड़ी की कोई रैक जिससे गाड़ी अपने स्थान पर खड़ी रहे और आगे या पीछे न जाय।
आसन
गाड़ीवान या गाड़ी हाँकने वाले के बैठने की जगह।
औंगना
गाड़ी में औंगन देना, वह बर्तन जिसमें औंगन रक्खा जाता हैं।
औगन
वह तेल अथवा चिकना पदार्थ जो नाभि के छेद में भरा जाता है, जिससे पहिया आसानी से घूमता रहे।
उलंग
बैलगाड़ी के चलने पर पीछे की ओर झुकी रहने की अवस्था जो पीछे के हिस्से पर अधिक बोझ होने से उत्पन्न हो जाती हैं, पीछे अधिक बोझ रहने से आगे का हिस्सा कुछ हद तक ऊपर उठ जाता है जिससे गाड़ी का नेउत बिगड़ जाता है और बैलों को चलने में कठिनाई पड़ती है, उलंग होने को पछर होना भी कहते हैं, उलंग होने की विपरीत दूसरी अवस्था अगर होना है जिसमें गाड़ी का बोझ आगे की ओर अधिक रहता है।
कबरा
चित्तीदार बैल।
किना
केन की तलहटी का बैल जो बुन्देलखण्ड में अपनी कष्ट सहिष्णुता और बलिष्ठता के लिये प्रसिद्ध है।
किरौ
सिमारू की पतली लकड़ियों की बनी हुई जो गाड़ी पर लंबी बिछाने और उसके अगल-बगल लगाने के काम आती है जिसमें गाड़ी में भरी हुई मिट्टी खाद नीचे न गिर सके।