मुहा.- थाह लगाना— (१) गहराई का पता लगाना। (२) भेद का पता चलना।
थाह लेना— (१) गहराई का पता लगाना। (२) भेद का पता चलाना।
थाह
संज्ञा
स्त्री.
(सं. स्था, हिं. थाह)
अंत, पार, सीमा।
थाह
संज्ञा
स्त्री.
(सं. स्था, हिं. थाह)
परिमाण आदि का अनुमान।
थाह
संज्ञा
स्त्री.
(सं. स्था, हिं. थाह)
भेद, रहस्य।
मुहा.- मन की थाइ— गुप्त विचार का पता।
थाहना
क्रि. स.
(हिं थाह)
थाह या गहराई का पता लगाना।
थाहना
क्रि. स.
(हिं थाह)
पता लगाना, अनुमान करना।
थाद्दरा
वि.
(हिं. थाह)
छिछला, कम गहरा।
थाह्यौ
क्रि. स.
(हिं. थाहना)
थाह ली, गहराई का पता लगाया।
उ.- सो बल कहा भयौ भगवान ? जिहिं बल मीन.रूप जल थाह्यौ, लियौ निगम, इति असुर-परान-१.-१२७।
थिगली
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. टिकली)
चकती, पैबँद।
मुहा.- थिगली लगाना- जोड़ तोड़ भिड़ाना, युक्ति लड़ाना।
बादल में थिगली लगाना- (१) बहुत कठिन काम करना। (२) असंभव बात कहना।
रेशम में टाट की थिगली— बेमेल चीज।