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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-V)

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देवनागरी वर्णमाला का अठारहवाँ और तवर्ग का तीसरा व्यंजन; इसका उच्चारण स्थान दंतमूल है।

दंग
वि.
(फा.)
चकित, विस्मित।

दंग
संज्ञा
पुं.
(फा.)
भय, डर, घबराहट।
उ.—जब रथ साजि चढ़ौं रन सनमुख जीय न आनौं दंग। (तंक) राघव सैन समेत सँहारौं करौं रुधिरमय अंग—(पंक)—६-१३४।

दंगई
वि.
(हिं. दंगा)
दंगा या झगड़ा करनेवाला, उपद्रवी।

दंगई
वि.
(हिं. दंगा)
उग्र, प्रचंड।

दंगई
वि.
(हिं. दंगा)
लंबा-चौड़ा।

दंगई
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. दंगा)
दंगा करने का भाव, उपद्रव।

दंगल
संज्ञा
पुं.
(फा.)
पहलवानों की कुश्ती।

दंगल
संज्ञा
पुं.
(फा.)
कुश्ती लड़ने का अखाड़ा।
मुहा.- दंगल में उतरना- कुश्ती लड़ने को तैयार होना।

दंगल
संज्ञा
पुं.
(फा.)
समूह, दल, जमाव।


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