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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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मंत्री
शतरंज की एक गोटी।
संज्ञा
[स. मत्रिन्]

मंत्रेला
झाड़फूँक या तंत्र-मंत्र जानने वाला।
संज्ञा
[सं. मंत्र]

मंथन
मथना, बिलोना।
संज्ञा.
[सं.]

मंथन
लीन होकर या अवगाहन करके तत्वों की खोज करना।
संज्ञा.
[सं.]

मंथर
मंद, सुस्त।
वि.
[सं.]

मंथर
मूर्ख।
वि.
[सं.]

मंथरा
कैकेयी की दासी जिसके कहने से उसने राम को वन भिजवाया था।
संज्ञा
[सं.]

मंद
धीमा, सुस्त।
वि.
[सं.]
डुलत नहिं द्रुम-पत्र बेली थकित मंद समीर-६५८।

मंद
मूर्ख।
वि.
[सं.]
अहं ममता हमैं सदा लागी रहै, मोह मद-क्रोध जुत मंद कामी.-८-१६।

मंदग
धीरे धीरे चलने वाला।
वि.
[सं.]


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