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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VII)

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भँवरना, भँवरनो
चक्कर लगाना।
क्रि. अ.
[हिं. भ्रमना]

भँवरभीख
तीन प्रकार की भिक्षा में से दूसरी जो घूम-घूमकर माँगी जाय।
संज्ञा
[हिं. भँवर+भीख]

भँवरा
भौंरा।
संज्ञा
[हिं. भँवर]
(क) ज्यौं-भँवरा रस चाखि चाहि कै तहाँ जाइ जहाँ नव तन जानै-2६९८। (ख) आपुहिं भँवरा आपुहिं फूल-३४०७।

भवरी
प्राणी के शरीर के ऊपर वह स्थान जहाँ के रोएं और बाल भँवर की तरह घूमे हुए हों।
संज्ञा
[हिं. भवरा]
(क) उर बनमाल बिचित्र बिमोहन, भृगु-भँवरी भ्रम कौं नासै-१-६९। (ख) उरज भँवरी भँवर मानों मीन मनि की कांति-१४१६।

भवरी
पानी का चक्कर, भँवर।
संज्ञा
[हिं. भवरा]

भवरी
भाँवर।
संज्ञा
[हिं. भाँवना]

भवरी
सौदे की फेरी।
संज्ञा
[हिं. भाँवना]

भवरी
रक्षक की गश्त।
संज्ञा
[हिं. भाँवना]

भवरी
परिक्रमा।
संज्ञा
[हिं. भाँवना]

भँवा
फेरा, चक्कर।
संज्ञा
[हिं. भँवना]


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