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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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पंक्ति
पाँती, कतार।
संज्ञा
[सं.]

पंक्ति
भोज में साथ साथ खानेवालों की पाँती।
संज्ञा
[सं.]

पंक्तिच्युत
बिरादरी से निकाला हुआ।
वि.
[सं.]

पंख
पर, डैना, पक्ष।
उ.-हंस उज्जल पंख निर्मल अंग मलि मलि न्हाहिं-१-३३८।
संज्ञा
[सं. पक्ष, प्रा. पक्ख्र]

पंख
पंख जमना- (१) भाग जाने के लक्षण दीख पड़ना। (२) बुरे रास्ते पर जाने के रंग-ढंग दीख पड़ना। (३) अंत समय आया जान पड़ना। पंख लगना- बहुत वेगवान होना।
मु.

पंखड़ी
फूल का दल।
संज्ञा
[सं. पक्ष्म]

पंखा
बेना, बिजना।
संज्ञा
[सं. पंख]

पँखिया
फूल का दल, पंघुड़ी।
फूल का दल, पंखुड़ी।
संज्ञा
[हिं. पंख]

पंखि, पंखी
पक्षी, चिड़िया।
उ.- (क) हौं तौ मोहन के बिरह जरी रे तू कत जारत रे पापी, तू पंखि पपीहा पिउ पिउ पिउ अधराति पुकारत-२८४९। (ख) पंखी पति सकुचाने चातक अनँग भर्यो-२८४९।
संज्ञा
[सं. पक्षी, पा. पक्खी, हिं. पंखी]

पंखि, पंखी
पतिंगा।
संज्ञा
[सं. पक्षी, पा. पक्खी, हिं. पंखी]


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