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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-IX)

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शिखंड
चोटी, शिखा।
संज्ञा
(सं.)
उ.- शोभित केश बिचित्र भाँति द्युति शिखि शिखंड हरनी- पृ. ३१६ (५४)

शिखंड
काकुल, काकपक्ष।
संज्ञा
(सं.)

शिखंडिनी
मोरनी, मयूरी।
संज्ञा
(सं.)

शिखंडिनी
द्रुपदराज की कन्या जो बाद में पुरूष हो गयी थी।
संज्ञा
(सं.)

शिखंडी
मोर, मयूर।
संज्ञा
(सं. शिखंडिन)

शिखंडी
मोर या मयूर की पूँछ।
संज्ञा
(सं. शिखंडिन)

शिखंडी
शिखा, चोटी।
संज्ञा
(सं. शिखंडिन)
उ.- शिखंडी शीश मुख मुरली बजावत।

शिखंडी
द्रुपदराज का वह पुत्र जो पहले कन्या-रूप में जन्मा था। महाभारत के युद्ध में भीष्म की मृत्यु का यही कारण बना था और अंत में अशवत्थामा द्वारा मारा गया था।
संज्ञा
(सं. शिखंडिन)

शिख
शिखा।
संज्ञा
(सं. शिखा)
उ.- फूली फिरति रोहिणी मैया नख-शिख करि सिंगार।

शिखर
सिरा, चोटी।
संज्ञा
(सं.)


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