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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Kumhar Ke Vyavasaay Sambandhi Shabd

कमाई हुई मिट्टी
बर्तन बनाने के योग्य साफ की हुई और लोचदार बनाई गई मिट्टी।

कीला
धरती में गड़ा हुआ लकड़ी या लोहे का कीला जिस पर चाक घूमता है, इसे कहीं कहीं नेमी और कही चकोटे भी कहते हैं।

कुन्ना
गुलइया चाक के किनारे पर बना हुआ छोटा गड्ढा जिसमें चकलेटी फँसा कर चाक को घुमाते हैं, कहीं कहीं इसे गुल्ली और कहीं चिन्ती भी कहते हैं।

पाट-पटिया
पत्थर का समतल टुकड़ा जिसे जमीन पर गाड़ कर चाक घुमाने पर थपा पिंडी से पलौटते हैं, पलोट पलोट कर तब औंधा देते हैं छाया में सुखाते हैं फिर धूप में रखते हैं फिर पानी के पोता से भांजी जाती है होंठ छोड़कर पूरी गगरी ताकि राख मिट्टी में मिल जाये। अब गेवरी (छब्बीस) से रंगते है, सफेद रंग और खरिया पै, गोंदा चका पर रक्खा खौला-लम्बा लम्बा बीच में पोला खौल में मुराउट बनाते हैं, होंठ बनाकर मुराउट भांभां कर रख देते हैं धूप में जब होंठ कड़े हो जाते हैं तब अबा की राख भुरकाते हैं, फिर थपा और पिंडी (पत्थर) को रखकर डौर भांते हैं आधी गगरी बन गई, डौर जब कर्रे हो गये तब थपा और पिड़ी से पूरी गगरी बना ली फिर घंघरों के ऊपर चित्र रख देते हैं,फिर ऊपर का हिस्सा कड़ा करते जाते हैं।

कुम्हरगरा
वह स्थान जहाँ की मिट्टी बर्तन बनाने के लिये बहुत उपयुक्त समझी जाती है और जहाँ से बर्तनों के लिये कुम्हार मिट्टी खोद कर लाते हैं।

कूंड़ौ
मिट्टी राख आदि का मिट्टी का तसला।

खपरिया
पके हुये मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े आदि अबा ढकने के काम आते हैं।

खिरकाबौ
अबा के कच्चे बर्तनों को पकने के लिये सजाकर रखना।

खौल
चाक पर बनाये जाने वाले घड़े का प्रारम्भिक आकार दे. बासन बनावो।

गुंदिया
पानी में सनी हुई मिट्टी की छोटी छोटी लोई। आलेख प्रचलित- 1. कंकना, 2. लहरिया, 3. झिझरी, 4. मोर, 5. खजुरिया, 6. संतिया।


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