भुकरांद-ऐसे पुराने आटे की गन्ध जो बहुत दिनों तक किसी सीलबन्द जगह में बंद रक्खा रहा हो।
भुकरांदयो चून
खराब दुर्गन्ध मय आटा।
भुसी
अनाज के दाने का ऊपर का छिलका जो दलने से अलग होता है, आटे का छनना।
मानी
चक्की के ऊपर के पाट में बीच छेद में आड़ा लगा हुआ लकड़ी का गुटका इसके बीच में एक छेद रहता है जिसके द्वारा नीचे के पाट के संजोव में ऊपर का पाट पहना दिया जात है इस छेद में लाहे की मुंदरी लगी रहती है।
मुंदरी
मानी के छेद में पड़ा हुआ लोहे का छल्ला जो मानी को कील की रगड़ से घिसने से बचाता है।
मैदा
गेहुआँ का बहुत बारीक पिसा हुआ आटा जो आंखी से छानकर अलग किया गया है और जिसमें चोकर सा भुसका लेशमात्र न हो, मैदा बनाने के लिये गेहुंओं को पहिले पानी में थोड़ा भींगने डाल देते हैं फिर छाया में साधारण रूप से सुखाकर पीसते हैं ऐसा करने से चापर आसानी से अलग हो जाती है, पिसे हुये आटे को आंखी से छानने के पश्चात् फिर भी मोटा दानेदार आटा बचा रहता है वह रवा कहलाता है और बारीक छना हुआ आटा मैदा।
रवा
गेहुंओं का खसखस के दानों जैसा बना हुआ आटा जिसमें चापर का अंश न हो, इसे सूजी भी कहते हैं। मैदा बनाते समय यह आटे से निकलता है देखिये मैदा।
रोरबो
राई, सरसों, धनिया जैसे गोल वस्तु को थाली में धीरे-धीरे झकोल कर साफ करना।
विंदुवा
जाँते की लकड़ी जो जाँते के मुँह पर लगी रहती है, जाँत के ऊपर के पाट में दो कुन्दा रहते हैं जिनसे विदुंवा के दोनों सिरे बंधे रहते हैं और बीच में कीला रहता है, इस उपकरण से जांज को आवश्कतानुसार हल्का व भारी करने में सहायता मिलती है, रस्सी के फंदे को गाढ़ा करने से जांत हल्का और ढीला करने से भारी चलने लगता है।
संजोव
चक्की के नीचे के पाट में बीचो बीच लगी हुई लोहे को मेख। यह मेख लकड़ी के उस कीले में दुकी रहती है जो पाट के बीच में फंसा रहता है, दे कीला।