जाँते की लकड़ी जो जाँते के मुँह पर लगी रहती है, जाँत के ऊपर के पाट में दो कुन्दा रहते हैं जिनसे विदुंवा के दोनों सिरे बंधे रहते हैं और बीच में कीला रहता है, इस उपकरण से जांज को आवश्कतानुसार हल्का व भारी करने में सहायता मिलती है, रस्सी के फंदे को गाढ़ा करने से जांत हल्का और ढीला करने से भारी चलने लगता है।