बाँस की एक फैली हुई बड़ी टोकनी यह बच्चों के लिटाने और सुलाने के काम में आती है, ग्रामीण रस्सियों से टांग कर इसका झूला भी बनाते हैं, यह बहुधा भीतर से रंगी हुई और खूबसूरत होती है, देहातों में पुत्र जन्म के अवसर पर बुआ के घर से जो बंधाया आता है उसमें चंगेर मुख्य वस्तु होती है और बंधा भेजने को चंगेर भेजना कहते हैं।
चकौटी
थाल के आकार का बड़ा बासन जो बाँस की पतली खपच्चियों से बनता है, यह विवाह शादियों में मुख्यतः भोजन का सामान तथा वस्त्र आदि रखकर ले जाने के काम आता है।
चटाई
बाँस की पतली खपच्चियों की फर्श नुमा बिछावन जो बिछोने अथवा बरसात में पानी से बचने के लिये गाडियों पर लाने के काम आती है।
चरिया
दे. बाँट।
चलना
अनाज छानने के काम की बाँस की पतली सींको की बनी छन्नी।
चाँदी
चंगेर को आकर्षक बनाने के लिये डाली गाई एक छोर से दूसरे छोर तक की आड़ी तिरछी रंगीन बुननी।
चिक
बाँस की सींको का पर्दा, यह सब तरह का और कीमती बनाया जाता है, सीकों को विविध प्रकार से बुनते हैं, बुनती की आकृतियों के हिसाब से अलग-अलग नाम हैं, जैसे-सिंगारेदार, लहरियादार गिलासदार इत्यादि।