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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-V)

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धँस
संज्ञा
पुं.
(हिं. धँसना)
डुबकी, गोता।

धँसन
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धँसना)
धँसने की क्रिया, ढंग या गति।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. दंशन)
गड़ना, चुभना।
मुहा.- जी (मन) में धँसना— (१) मन पर प्रभाव डालना। (२) बराबर ध्यान पर चढ़ा रहना।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. दंशन)
जगह बनाकर बढ़ना या पैठना।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. दंशन)
धीरे-धीरे नीचे जाना या उतरना।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. दंशन)
नीचे की ओर दब या बैठ जाना।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. दंशन)
गड़ी चीज का खड़ी न रह कर बैठ या दब जाना।

धँसना
क्रि. अ.
(सं. ध्वंसन)
नष्ट होना, मिटना।

धँसनि
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धसन)
घुसने-पैठने की क्रिया, रीति या चाल।

धँसान
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धँसना)
धसने की क्रिया या ढंग।


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