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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-V)

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धन
संज्ञा
स्त्री.
(सं. धनी)
युवती, वधू।
उ.— (क) गायौ गौध, अजामिल गनिका, गायौ पारथ-धन रे—१-६६। (ख) सूरदास सोभा क्यौं पावै पिय विहीन धन मटके—१-२९२। (ग) एकटक सिव धरे नैनन लागत स्याम सुता-सुत-धन आई—सा.-उ. ३०।

धनक
संज्ञा
पुं.
(सं.)
धन की इच्छा।

धनक
संज्ञा
पुं.
(सं.)
धनुष, कमान।

धनकुट्टी
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धान + कूटना)
धान कूटने की क्रिया।

धनकुट्टी
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धान + कूटना)
धान कूटने की ओखली या मूसल।
मुहा.- धनकुट्टी करना— बहुत मारना-पीटना।

धनकुवेर
संज्ञा
पुं.
(सं.)
बहुत धनी आदमी।

धनकेलि
संज्ञा
पुं.
(सं.)
कुवेर।

धनतेरस
संज्ञा
स्त्री.
(हिं. धन + तेरस)
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी जब रात में लक्ष्मी जी की पूजा होती है।

धनदंड
संज्ञा
पुं.
(सं.)
जुरमाना।

धनद
वि.
(सं.)
धन देनेवाला।


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