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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-V)

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धतींगड़, धतीगड़ा
संज्ञा
पुं.
(देश)
बैडौल, मुस्टंड।

धतूर
संज्ञा
पुं.
(अनु. धू + सं. तूर)
धूतू या नरसिंहा नामक बाजा, तुरही।
उ.—दसएँ मास मोहन भए मेरे आँगन बाजै धतूर।

धतूर, धतूरा, धत्तूर
संज्ञा
पुं.
(सं. धुस्तूर, हिं. धतूरा)
एक पौधा जिसके फल शिवजी पर चढ़ाये जाते हैं।
मुहा.- धतूरा खाये फिरना— पागल की तरह घूमना। उ.— सूरदास प्रभु दरसन कारन मानहुँ फिरत धतूरा खाये— ३३०३।

धत्
अव्य
(अनु.)
दुतकारने का शब्द।

धधक
संज्ञा
स्त्री.
(अनु.)
आग बढ़ने का भाव।

धधक
संज्ञा
स्त्री.
(अनु.)
आँच, लपट।

धधकना
क्रि. अ.
(हिं. धधक)
आग का दहकना या लपट के साथ जलना।

धधकाना
क्रि. स.
(हिं. धधकना)
आग को दहकाना।

धनंजय
वि.
धन जीतने या प्राप्त करनेवाला।

धनंजय
संज्ञा
पुं.
अग्नि।


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