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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

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कज
दोष, ऐब, कसर।
संज्ञा
[फा.]

कजरा
काजल।
ता दिन तें कजरा मैं देहौं। जो दिन नँदनंदन के नैनन अपने नैन मिलैहौं - २७७६।
संज्ञा
[हिं. काजल]

कजरा
बैल जिसकी आँखें काली हों।
संज्ञा
[हिं. काजल]

कजरा
काली आँखोंवाला।
वि.

कजराई
कालापन।
संज्ञा
[हिं. काजल]

कजरारा
जिस (नेत्र) में काजल लगा हो, अंजनयुक्त।
वि.
[हिं. काजल+आरा (प्रत्य.)]

कजरारा
(काजल के समान) काला।
वि.
[हिं. काजल+आरा (प्रत्य.)]

कजरी
काली आँखों वाली गाय।
(क) कजरी कौ पय पियहु लाल जासौ तेरि वेनि बढ़ै - १० - १७४। (ख) अपनी अपनी गाइ ग्वाल सब आनि करौ इक ठौरी। …...| पियरी, मौरी, गोरी, गैनी, खैरी, कजरी जेती - ४४५। (ग) कजरी, धौरी, सेंदुरी, धूमरि मेरी गैया - ६६६।
संज्ञा
[हिं. काजल, कजली]

कजरी
कजराई, कालापन।
संज्ञा
[हिं. काजल]

कजरी
एक त्योहार जो कहीं सावन की पूर्णिमा को और कहीं भादों बड़ी तीज को मनाया जाता है। इस दिन से कजली गाना बंद कर दिया जाता है।
संज्ञा
[हिं. काजल]


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