logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

Please click here to read PDF file Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-II)

आकाश।
संज्ञा
[सं.]

स्वर्ग।
संज्ञा
[सं.]

शून्य।
संज्ञा
[सं.]

ब्रह्म।
संज्ञा
[सं.]

शब्द।
संज्ञा
[सं.]

खइए
खाइए, भोजन कीजिए।
जूठा खइए मीठे कारन आपुहि खात लड़ावत - पृ. ३३१।
क्रि. स.
[सं. खादन, पा. खाअन, खान ; हिं. खाना]

खई
क्षय करनेवाली क्रिया।
संज्ञा
[सं. क्षयी]

खई
विरोध, तकरार, झगड़ा।
(क) सुत-सनेह-तिय कुटुम्ब मिलि, निसि दिन होत खई - १ - २९९। (ख) त्यौंरी भौंहन मोतन चितवै नैंक रहौ तौ करै खई - १२६१। (ग) कहतहि पोच सोच मनही मन करत न बनति खई - २७९१। (घ) भोजन भवन कछू नहिं भावत पलकन मानौं करत खई सी - १६८३।
संज्ञा
[सं. क्षयी]

खई
युद्ध, लड़ाई।
संज्ञा
[सं. क्षयी]

खक्खा
जोर की हँसी।
संज्ञा
[अनु.]


logo