Rajaneetivijnan Paribhasha Kosh (English-Hindi) (CSTT)
Commission for Scientific and Technical Terminology (CSTT)
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Dail
डेल आयरलैंड की संसद का निम्न सदन।
Defection
दलबदल विधान मंडल अथवा संसद में किसी राजनीतिक दल के एक या अधिक सदस्यों द्वारा अपना दल त्याग कर किसी दूसरे दल के साथ जा मिलना। भारत में, 1985 में पारित एक क़ानून के अंतर्गत दलबदल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और ऐसे सदस्यों को सदन की सदस्यता से वंचित कर दिया जाता है। परंतु यदि किसी दल के कम से कम एक तिहाई सदस्य एक साथ ऐसा करें तो उन पर यह क़ानून लागू नहीं होता।
Delegated legislation
प्रत्यायोजित विधान इसे प्रशासकीय अंगों तथा निकायों एवं अभिकरणों द्वारा विधि निर्माण भी कहते हैं। ये विधियाँ-नियमों, उपनियमों, अधिनियमों, आदेशों आदि के रूप में होती हैं। संसदीय विधियों की विभिन्न धाराओं में प्रदत्त शक्ति के अनुसार कार्यकारिणी अंग आवश्यकतानुसार समय – समय पर ये नियम, उपनियम जारी कर सकते हैं। ये संसदीय विधि से सीमित होते हैं। अतः इस प्रकार के विधि-निर्माण को अधीनस्थ विधि-निर्माण भी कहते हैं। इस प्रकार निर्मित नियम इत्यादि विधायिका के पटल पर रख दिए जाते हैं।
Delegation
1. प्रतिनिधि मंडल 2. प्रत्यायोजन 1. किसी सम्मेलन, संगठन या संस्था को भेजे जाने वाले प्रतिनिधि जिनमें एक सदस्य को नेता नामांकित कर दिया जाता है। 2. लोक प्रशासन ने उच्चाधिकारी और प्रशासकीय अंगों या निकायों द्वारा निर्दिष्ट अधिकारियों को विधि के अनुकूल अपने कार्य एवं अधिकार सौंप दिया जाना जिनके लिए वे प्रदाता के प्रति उत्तरदायी रहते हैं। प्रदाता का अंतिम रूप से उत्तरदायित्व बना रहता है।
Delimitation treaty
सीमांकन संधि दो या अधिक राज्यों के बीच की गई संधि जिसके अनुसार उनके विवादास्पद प्रदेशों का सीमांकन किया जाता है।
Demagogy
जनोत्तेजन भाषण की ऐसी शैली जिसके द्वारा लोगों की भावनाएँ भड़काकर राजनीतिक स्वार्थ-सिद्धि का प्रयास किया जाता है।
De Maoisation
प्रतिमाओवाद, माओवाद का निरस्त्रीकरण चीन में माओवाद को निष्प्रभावित करने की प्रक्रिया और कार्यक्रम। चीन में माओ-त्से-तुंग के देहांत के उपरांत, डेंग-ज्याओं-पिंग के नेतृत्व में आर्थिक व्यवस्था में किए गए परिवर्तन और लाल चीन के आधुनिकीकरण का अभियान जिसका लक्ष्य पश्चिमी राष्ट्रों से चीन के संपर्क बढ़ाना और पश्चिमी प्रौयोगिकी का लाभ उठाना है। डेंग की ये नीतियाँ माओ की नीतियों के विपरीत होने के कारण इनके सामूहिक प्रभाव को “प्रतिमाओवाद” कहा जाता है।
Demarche
डेमार्श, आपत्ति पत्र 1. राजनय में नीति को परिवर्तित करने वाला कोई कार्य। 2. कोई राजनयिक चाल, प्रतिचाल, अथवा युक्ति। 3. एक अथवा अनेक राज्यों द्वारा दूसरे देश को प्रेषित किया गया मौखिक या लिखित विरोध-पत्र। 4. किसी सरकारी अधिकारी को दिया गया औपचारिक या अनौपचारिक अभ्यावेदन अथवा वक्तव्य।
Denationalization
विराष्ट्रीयकरण राष्ट्रीयकृत उद्यमों पर से सार्वजनिक स्वामित्व हटा कर उन्हें पुनः निजी स्वामित्व के लिए खुला छोड़ देने की नीति।
Denunciation
प्रत्याख्यान किसी संधि, विराम संधि, अनुबंध आदि को औपचारिक रूप से समाप्त करने की घोषणा।
Dependency
आश्रित देश वह देश या प्रदेश जो किसी अन्य राज्य के अधीनस्थ हो परन्तु उसका संविधायी अंग न हो।
De-Stalinslation
प्रतिस्तालिनवाद, स्तालिनवाद का निरस्तीकरण, स्तालिनवाद का उन्मूलन 1956 की साम्यवादी दल की 20वीं कांग्रेस में तत्कालीन महासचिव निकिता खुश्चेव द्वारा स्तालिन की नीतियों की और विशेषकर उसकी क्रूरताओं की कटु आलोचना की गई और स्तालिनकालीन व्यक्ति-पूजा के स्थान पर यह वचन दिया गया कि तदुपरांत सामूहिक नेतृत्व के आधार पर ही भविष्य में सोवियत शासन-नीति और प्रशासन का संचालन किया जाएगा। इस प्रकार सोवियत राजनीति में एक नई प्रवृत्ति का जन्म हुआ जिसका लक्ष्य स्तालिनकालीन नीतियों का पूर्ण रूप से तिरस्कार कर सोवियत राजनीति को एक नई दिशा देना था।
Detente
वैमनस्य शौथिल्य, तनाव शैथिल्य द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संसार जिन दो गुटों में बंट गया, उनके पारस्परिक संबंध तनावपूर्ण होते चले गए जिसे शीत युद्ध की स्थिति कहा जाने लगा। इस स्थिति में सुधार आने अथवा तनाव में कमी आने के क्रम को “शैथिल्य” कहा गया। शीत युद्ध और शैथिल्य के बीच बराबर उतार-चढ़ाव आता रहा। शैथिल्य की स्थिति का एक चरमबिन्दु यूरोप में शांति और सुरक्षा संबंधी सम्मेलन कहा जा सकता है जो 1975 में हेलसिंकी में हुआ था।
Detenue
नजरबंद वह व्यक्ति जो इस आशंका से हिरासत में लिया जाए कि वह शासन-विरोधी कार्य विशेषकर, राजनीतिक अपराध कर क़ानून व्यवस्था के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
Development administration
विकास प्रशासन परंपरागत प्रशासन का प्रमुख कार्य शांति एवं व्यवस्था बनाए रखना था जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवनयापन क़ानूनों के अंतर्गत करने के लिए स्वतंत्र हो। प्रायः आर्थिक और सामाजिक विकास का दायित्व व्यक्ति और समाज पर होता था राज्य पर नहीं। शनै: शनै: कल्याणकारी राज्य और लोकतंत्र के अभ्युदय तथा उपनिवेशवाद के पतन के पश्चात् नवोदित राज्यों ने इस सिद्धांत को अपनाया कि प्रशासन का उत्तरदायित्व केवल शाति और व्यवस्था तक ही सीमित नहीं अपितु पूर्ण आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए भी सक्रिय रूप से कार्यवाही करना होना चाहिए। इस प्रकार, विकास प्रशासन में राज्य अनेक योजनाओं एवं कार्यक्रमों के द्वारा जनता के सर्वागीण विकास के लिए कार्य करता है। इसका एक आयाम यह भी है कि विकास प्रक्रिया में प्रशासन और जनता की भागीदारी रहती है। इस प्रकार के प्रशासन में यह आवश्यक हो जाता है कि प्रशासकों के दृष्टिकोण और मनोवृत्ति में इस प्रकार का परिवर्तन आए कि वे अपने को केवल प्रशासक मात्र ही न समझें अपितु जनता की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील भी रहे।
Development approach
विकासपरक उपागम तुलनात्मक राजनीति में अध्ययन का एक उपागम जिसके अनुसार राजनीतिक व्यवस्थाएँ एक विकासक्रम में रखी जा सकती हैं। यह क्रम है पुरातन-परंपरागत-संक्रांतिकालीन-आधुनिक। विकासक्रम पुरातन से आधुनिक की ओर होता है। राजनीतिक व्यवस्थाओं, संरचनाओं व कार्यों को इस विकासक्रम में रखकर उनका तुलनात्मक अध्ययन करना “विकासपरक उपागम” कहलाता है। आमंड ने इसी उपागम का प्रयोग किया है।
Dictatorship
तानाशाही जनता की सहमति के बिना अथवा उनके विरुद्ध एक व्यक्ति अथवा व्यक्तिसमूह द्वारा मनमाने ढंग से शासन-संचालन जिसमें क़ानून के शासन, नागरिक अधिकार व स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सर्वथा विलोप हो जाता है। संवैधानिक प्रक्रियाएँ या स्वतंत्रताएँ बनी भी रहती हैं तो प्रायः केवल नाममात्र के लिए और केवल तानाशाही के हितार्थ। कभी-कभी सत्ता एक दल या गुट के द्वारा हस्तगत कर ली जाती है परंतु धीरे-धीरे एक व्यक्ति अथवा तानाशाह पूरी व्यवस्था में सर्वोपरि हो जाता है।
Dictatorship of the proletariat
सर्वहारावर्ग का अधिनायकत्व मार्क्स के अनुसार श्रमिक क्रांति के उपरांत और साम्यवादी समाज की स्थापना के पूर्व एक संक्रांतिकाल होगा जिसमें राज्य की संस्थाओं तथा उत्पादन के साधनों पर सर्वहारावर्ग का प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा। इस स्थिति को मार्क्स ने “सर्वहारावर्ग का अधिनायकत्व” कहा है। यह एक अंतरिम व्यवस्था है। धीरे-धीरे राज्य लुप्त हो जाएगा और तब वह विशुद्ध साम्यवादी व्यवस्था होगी।
Diplomacy by conference
सम्मेलन राजनय 1. राज्यों के प्रतिनिधियों के मध्य सम्मेलन द्वारा आपसी हितों के प्रश्नों पर पारस्परिक विचार-विमर्श एवं निर्णय। 2. सामूहिक ढंग से विचार-विमर्श करके राजनयिक निर्णय लेने की पद्धति को “सम्मेलन राजनय” कहा जाता है। सन् 1918 से इसके प्रयोग में काफी तेजी आई है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आज इसका विशेष महत्व है।
Diplomatic corps