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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सैंतत
सहेजता-सँभालता है।
क्रि.स.
(हिं. सैंतना)
उ.- यक सैंतत घर के सब बासन-१०५२।

सैंतति
सहेजती और सँभाल कर रखती है।
क्रि.स.
(हिं. सैंतना)
उ.-(क) सैंतति महरि खिलौना हरि के-७१२। (ख) धरति, सैंतति धाम बासन-९५०। (ग) महरि सबै नेवज लै सैंतति-१०१०।

सैंतना, सैंतनो
इकट्ठ, एकत्र या संचित करना।
क्रि.स.
(सं. संचय)

सैंतना, सैंतनो
बिखरी हुई चीज को हाथ से समेटना।
क्रि.स.
(सं. संचय)

सैंतना, सैंतनो
सहेजना, सँभालकर या सावधानी से रखना।
क्रि.स.
(सं. संचय)

सैंतालिस, सैंतालीस
चालीस से सात अधिक की संख्या।
संज्ञा
पुं.
(सं. सप्तचत्वारिंशत्, पा. सत्तचत्तालीसति, प्रा. सत्तालिस, हिं. सैतालीस)

सैंति
इकट्ठा या एकत्र करके।
क्रि.स.
(हिं. सैंतना)
उ.-कहा होत जल महा प्रलय को राख्यौ सैति सैति है गेह। भुव पर एक बूॅद नहिं पहुँची निझरि गए सब मेह।

सैंति
सहेज या सँभालकर।
क्रि.स.
(हिं. सैंतना)
उ.- (क) नीलाम्बर पीताम्बर लीन्हें, सैंति धरति करि ध्यान-५११। (ख) अपनो जोग सैंति धरि राखौ यहाँ देत कत डारे-३०११।

सैंतिस, सैंतीस
तीस से सात अधिक की संख्या।
संज्ञा
पुं.
(सं. सप्तत्रिंशत्, पा. सत्ततिंसति, प्रा. सत्तिंसइ, हिं. सैतीस)

सैंथी
भाला, बरछी।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. शक्ति)
उ.- इन्द्रजीत लीन्हीं जब सैंथी (पाठा, सक्ती) देवन हहा करथौ-९-१४४।


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