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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-X)

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सेवादार
किसी देवालय में सेवा-व्यवस्था आदि करने का अधिकारी।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेवा + फ़ा. दार)

सेवाधर्म
सेवक का धर्म, कर्तव्य या दायित्व।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेवा + धर्म्म)

सेवापन
टहल, परिचर्या।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेवा + हिं. पन)

सेवापन
सेवक का धर्म या कर्तव्य।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेवा + हिं. पन)
उ.-सेवक कौ सेवापन एतौ आज्ञाकारी होइ-९-९९।

सेवा-बंदगी
पूजा, उपासना आराधना।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. सेवा + बंदगी)

सेवार, सेवाल
पानी में होने वाली एक तरह की घास।
संज्ञा
स्त्री.
(सं. शैवाल)
उ.-(क) मनु सेवाल कमल पर अरुझे-१०-१४०। (ख) राम औ जांबवान सुभट ताके हते रुधिर की नहर सरिता बहाई। सुभट मनो मकर अरु केस सेवार ज्यौं धनुष त्वच चर्म कूरम बनाई-१० उ.-२१।

सेवावृत्ति
नौकरी, चाकरी।
संज्ञा
स्त्री.
(सं.)

सेवि
सेवी' का रूप जो समास में होता है।
संज्ञा
पुं.
(सं. सेवी)

सेवि
सेवित।
वि.
(सं. सेवित)

सेवि
सेव्य।
वि.
(सं. सेव्य)


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