एक प्रकार का कड़वापन या कड़वी गंध जो पुराने आटे में आ जाती है।
उन्नयाँद
कपड़ा जलने की गंध।
कचाँद
किसी वस्तु को विशेषकर आटा वेसन आदि को भूनते समय उसके कच्चे रहने की गंध।
कसयाँद
कांसे के बर्तन में रक्खे रहने के कारण खाने पीने के पदार्थो में उत्पन्न हुई गंध।
किल्लयाँद
ढोरों के शरीर में लगी हुई किल्ली नाम के कीड़े के जलने की दुर्गंध किल्लियों को गाय भैंस के शरीर से अलग करके प्रायः आग में जला देते हैं, जिसमें वे फिर उनके शरीर पर न चढ़ जाय उनके जलने से एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है।